vaibhav upadhyay

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allahabad, uttar pradesh, India
meri soch or mere sbd se jo kuch bna wo meri khud ki abhivyakti hai....!!!!!

Saturday, September 24, 2016

पिंक एवं पार्च्ड फिल्म का नारीवादी दृष्टिकोण 

कला के रूप में फिल्म की रेसिपी जितना यथार्थ होती हैं उतना ही कल्पना भी और इसी के साथ यथार्थ की कुरूपता का मेकअप सुंदर कल्पना के मार्फत किया जाता है। पिंक और पार्च्ड दोनों फिल्में सुंदर कल्पना के मार्फत यथार्थ का चित्रण करती प्रतीत होती हैं। चुकी दोनों फिल्मों के अलग-अलग निर्देशक, कलाकार और स्क्रिप्ट लेखक रहे हैं तो एक निश्चित अंतर का होना भी एक तरीके का यथार्थ ही है। यह  यथार्थ सुंदर कल्पना के विभेद के रूप में सामने आता है। दोनों फिल्म में महिलाओं को सशक्त रूप में स्थापित करने की पूरी कोशिश की गयी है। दोनों फिल्म की नायिकाएँ स्वतंत्र रहना चाहती हैं। पार्च्ड फिल्म के शुरुआती शॉट में ही सामाजिक बंधनों से जकड़ी महिलाओं के स्वतंत्र अभिव्यक्ति को प्रदर्शित किया गया है तो वहीं पिंक फिल्म का पहला दृश्य ही भारतीय सिनेमा के अब तक चले आ रहे उस परिपाटी को तोड़ता है जिसमें किसी पुरुष द्वारा प्रताड़ित स्त्री का चित्रण किया जाता रहा है, बल्कि इसके इतर निर्देशक ने एक सिर फूटे लड़के को स्टेबलिश किया है जिसे उसके दो दोस्त हॉस्पिटल ले जा रहे होते हैं और कहते हैं कि उन लड़कियों को देख लेंगे... दोनों ही फिल्म में स्त्री संघर्ष का प्रतिनिधित्व करती तीन स्त्रियों को देखा जा सकता है। तीन की संख्या का वाजिब कारण तो फिल्म के निर्देशक ही बता सकते हैं। दोनों ही फिल्में यही दिखाने का पुरजोर कोशिश करती हैं कि आज भी हमारे पृत्सत्तात्मक समाज में स्त्रियों की हकीकत इंतजार, इल्जाम, बंदिशे और गलियों तक ही सीमित हैं। फिल्में उन सारे बयानबाजी को धता साबित करती हैं जिसमें पृत्सत्तात्मक समाज द्वारा अपने सभ्य होने का प्रमाण दिया जाता रहा है। फिल्म यह दिखाने में सफल होती है कि अगर कुछ बदला है तो सिर्फ शोषण का तरीका! दोनों फिल्म घटना से ज्यादा विचार पर ज़ोर देते हैं चाहे पार्च्ड फिल्म में राधिका आप्टे द्वारा वाइब्रेट हो रहे मोबाइल फोन पर बैठ कर यौन इच्छाओं का आनंद लेते हुये दिखाया गया हो या पिंक फिल्म की नायिका द्वारा अपनी इच्छा से एक से ज्यादा पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध वाली बात को मुखरता के साथ स्वीकार करना दिखाया गया हो।

अगर व्यक्तिगत राय देखि जाय तो मुझे पार्च्ड फिल्म की अपेच्छा पिंक थोड़ी कमजोर लगी। पार्च्ड फिल्म की नायिका जहां पूरे फिल्म में सशक्त रूप में देखि गई तो वहीं पिंक में डरी और सहमी हुई नजर आयी। पिंक फिल्म में लड़कों द्वारा जबरन गाड़ी में बैठाये जाने पर नायिका उसके प्रति संघर्ष न कर माफी मांगते देखि गई। इसी संदर्भ में मैं यथार्थ के सुंदर चित्रण की बात कर रहा था जो इस फिल्म में कई जगह कमजोर नजर आया। भारतीय फिल्मों में अंत बहुत महत्वपूर्ण होता है जो सुखांत पर पूर्ण रूप से आधारित होता है फिर चाहे आप इसे दर्शक की मांग समझ ले या निर्देशक की कमजोरी। पिंक फिल्म के द इंड ने मुझे खासा निराश किया। फिल्म के अंत में न्यायधीश द्वारा सुनाये गए फैसले में तर्क से ज्यादा भावनाओं का समावेश देखा गया जो नायिकाओं के सशक्त जीत को प्रदर्शित नहीं कर पाया। पिंक फिल्म के अंत ने पृत्त्सत्ता की उसी शक्ति संरचना को परिभाषित किया जिसमें पुरुष द्वारा स्त्री की मांग को दया रूप में मान लिया जाता है। लेकिन पार्च्ड फिल्म ने फिल्म के सभी पक्ष के साथ न्याय किया एवं इस फिल्म का अंत प्रभावशाली रहा जिसमें औरतों को ही आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया गया। इन सब के बावजूद दोनों फिल्म सामाजिक विषमताओं का सुंदर चित्रण करती हैं इसलिए फिल्म जल्द से जल्द देख ले क्योंकि समाज का आईना आपको आपका चरित्र तो दिखाता ही रहेगा।

Monday, April 27, 2015

Alfaz: मीडिया द्वारा जल संरक्षण जागरूकता अभियानजब भी मीडि...

Alfaz: मीडिया द्वारा जल संरक्षण जागरूकता अभियानजब भी मीडि...: मीडिया द्वारा जल संरक्षण जागरूकता अभियान जब भी मीडिया के भूमिका की बात की जाती है तो तीन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की जाती है। सूचना देना ...

मीडिया द्वारा जल संरक्षण जागरूकता अभियान
जब भी मीडिया के भूमिका की बात की जाती है तो तीन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की जाती है। सूचना देना, शिक्षा देना और मनोरंजन करना। (to inform, to educate and to entertain) साफ है कि लोगों सही सूचना देकर जागरूक बनाना और नए नए रिसर्च और ज्ञान से लोगों को शिक्षित करना ही मीडिया का प्रमुख कार्य है। वह उन लोगों तक सूचनाएं पहुंचाता है जिनके पास तक जानकारी नहीं होती। इसके लिए वह अलग अलग तरह के मीडिया का इस्तेमाल करता है चाहे सबसे पुराना प्रिंट मीडिया हो, बाद में आया आडियो और विजुअल मीडिया हो या फिर सबसे नया न्यू मीडिया हो।
हर पीढ़ी अगली पीढ़ी को विरासत में काफी कुछ देकर जाती है। इस विरासत में होता है ज्ञान, विज्ञान, धन और प्राकृतिक संसाधन। लेकिन आजकल हम लोग जिस तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं बड़ा सवाल है कि हम आने वाली पीढ़ी को क्या देकर जाएंगे। बड़े खतरे हैं आने वाली पीढ़ी के पास हो सकता है पीने लिए पानी न हो, खाने के लिए अनाज कम पड़ जाए सांस लेने के लिए हवा भी न हो। जैसे जैसे धरती पर आबादी का बोझ बढ़ता जा रहा है, हवा, पानी, जमीन की उपलब्धता कम होती जा रही है। प्रकृति से मिलने वाले हर तरह के संसाधनों का तेजी से दोहन जारी है। दुनिया संकट से जूझ रही है। पहाड़ लगातार पिघल रहे हैं। जंगल काटे जा रहे हैं। नदियों में पानी घट रहा है। खेतों को पर्याप्त पानी नहीं नहीं मिल रहा है। हर साल हजारों लोग पानी के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। ऐसे तमाम खतरों के प्रति लोगों को जागरूक करने में मीडिया की बड़ी भूमिका हो सकती है। लोगों को लगातार जागरूक कर हम एक सुंदर दुनिया बना सकते हैं। सुंदर लाल बहुगुणा, अनुपम मिश्र और भारत डोगरा जैसे कुछ नाम जो पर्यावरण पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं से सीख ली जा सकती है। अभी इस कड़ी और भी नए नाम जोड़े जा सकते      हैं।
जागरूकता अभियान - समाज पत्रकारों अब नए शब्द में कहें तो मीडिया वालों की ओर बड़े सम्मान भरी नजर से देखता है। उनसे सवाल भी पूछता और समाधान की उम्मीद भी रखता है। एक अच्छे मीडिया कर्मी का काम सिर्फ सवाल खड़े करने का ही नहीं बल्कि सवालों का समाधान ढूंढने में भी उसकी भूमिका होनी चाहिए।
घर से करें शुरूआत - अब सवाल उठता है कि पत्रकार कैसे अपनी भूमिका तय करे। धरती को बचाने में और लोगों के सामने नजीर खड़े करने में पत्रकारों की कई तरह से भूमिका हो सकती है। पहली भूमिका तो व्यक्तिगत तौर पर होगी। यानी घर से निकलने और घर वापस आने तक बिजली बचाने, ग्लोबल वार्मिंग से खतरों से आगाह करने और हरियाली को बचाने रखने की कोशिश में लगे रहना। यानी शुरूआत खुद से करनी होगी। आज पत्रकारिता में स्पेशलाइजेशन का दौर है। हर पत्रकार किसी न किसी विषय में ज्यादा जानकारी रखता है। कोई राजनीति, कोई अपराध, कोई खेल, कोई बिजनेस, कोई फिल्म टीवी का जानकार है। पर्यावरण भी बहुत बड़ा विषय हो सकता है। इस क्षेत्र में कम पत्रकार हैं।

5.1 प्रिंट मीडिया का अभियान  
आप अखबारों में लेख लिखकर लोगों को जागरूक बना सकते हैं। अगर लेख नहीं छपता हो तो वेब पोर्टल बना सकते हैं। छोटे छोटे पर्चे निकाल सकते हैं। अपने मुहल्ले में छोटे छोटे सेमिनार और गोष्ठियां करवा सकते हैं। जागरूकता रैली और हरियाली लाने के अभियान से जुड़े दूसरे कई तरह के आयोजनों के अगुवा या फिर हिस्सेदार बन सकते हैं। जब आप किसी प्रिंट मीडिया में नौकरी कर रहे होते हैं तब आप खबरों के चयन में पर्यावरण से जुडी खबरों के प्रमुखता दे सकते हैं।
दैनिक भास्कर का अभियान
देश के सबसे बड़ा अखबार समूह दैनिक भास्कर पिछले कई सालों से पानी बचाओ ( SAVE WATER ) अभियान चला रहा है। इसके लिए अखबार के पहले पन्ने और अंदर के पन्नों पर पानी के संकट पानी बचाने के तरीकों से जुड़ी खबरें खास तौर पर छापी जाती हैं। लेकिन अखबार सिर्फ इतना ही नहीं करता। अपनी सामाजिक जिम्मेवारी को समझते हुए देश के अलग अलग राज्यों के सैकड़ो शहरों में जागरूकता रैलियां, स्कूलों कालेजों में पानी बचाओ अभियान चलाता है। जल संरक्षण पर छोटी छोटी पुस्तकें प्रकाशित करता है। पानी बचाने के लेकर कविताओं के माध्यम से मार्मिक अपील की जाती है।
          भास्कर समूह के जल बचाओ  कल बचाओ अभियान में सामाजिक संगठनों, कम्युनिटी रेडियो स्टेशन की सहायता ली जा रही है। पूरे अभियान में इस बात को प्रमुखता से रखा गया है कि अगर आज हमने पानी नहीं बचाया तो तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए ही लड़ा जाएगा।

सूखी होली का संकल्प
इस साल दैनिक भास्कर समूह ने देश में भर में लोगों रंग भरी होली की जगह सूखी होली खेलने की आह्वान किया। सूखी होली यानी सिर्फ गुलाल से होली। कई शहरों में बड़ी संख्या में छात्र छात्राओं ने सूखी होली यानी तिलक होली खेलने का संकल्प लिया।
डाउन टू अर्थ
सेंटर फार साइंस एंड एनवारनमेंट कई सालों से एक पाक्षिक पत्रिका निकालता है डाउन टू अर्थ। पत्रिका के हर अंक में पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर शोधपरक लेख और जागरूकता अभियानों की खबरें होती हैं।

5.2 टीवी द्वारा अभियान
जब आप टीवी के लिए खबरों को चयन कर रहे होते है तब भी ऐसी मजबूरियां आती हैं। बॉस बोलेगा बिकाउ खबरें चाहिए। बेशक ऐसी खबरें चलेंगी लेकिन दिन भर चलने वाली खबरों में कुछ अच्छी खबरों के लिए भी जगह खूब निकाली जा सकती है। दुनिया के कोने कोने से कई ऐसी खबरें आती हैं जो धरती पर मंडरा रहे खतरे से जुडी होती है।
एनडीटीवी का अभियान
अप्रैल 2008 में देश के प्रमुख टीवी चैनल समूह एनडीटीवी ने शुरू किया एक अनूठ अभियान। एनडीटीवी टोयोटा ग्रीन अभियान में लगातार 24 घंटे का कार्यक्रम चलाया गया। इसमें नामी गिरामी हस्तियों ने हिस्सा लिया। लोगों को पर्यावरण के मुद्दों के बारे में जागरूक करने की एक कोशिश थी। अभियान के साथ नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. आर.के. पचौरी, पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और कई फिल्मी सितारे भी जुड़े थे।
          आप खुद को एक पत्रकार के रूप में  ही नहीं बल्कि उससे कुछ आगे बढ़कर देखें। आजादी के आंदोलन के समय पत्रकारों के सामने चुनौती थी देश को आजाद कराने की। तब पत्रकारिता एक मिशन थी। आज पत्रकारों के सामने देश चुनौती नहीं है। पूरी दुनिया ही चुनौती है। चुनौती है इस धरती को बचाए रखने की। जिससे कि आने वाले दिनों में पैदा होने वाले हमारा बच्चा, भाई, बहन, खुली हवा में सांस ले सके उन्हें पीने को स्वक्ष जल मिल सके।
          अब हम बात करेंगे कुछ ऐसे अभियानों को जो अलग अलग मीडिया ने पर्यावरण को बचाने के लिए चलाए हैं। सबसे पहले बात करते हैं प्रिंट मीडिया की। वैसे तो अखबारों में अच्छी और बुरी खबरें छपती रहती हैं। लेकिन गर्मी आने के साथ ही हिंदुस्तान के अलग अलग राज्यों में पानी की भारी कमी हो जाती है। दिल्ली से कुछ सौ किलोमीटर दूर चंबल में जाकर देखिए। कई साल वहां दर्जनों लोग प्यास से तड़प कर मर चुके हैं। लेकिन जहां पानी है वहां लोग जमकर पानी बर्बाद करते हैं।
केबल आपरेटर एसोसिएशन का अभियान
देश में केबल टीवी का बड़ा नेटवर्क है। आज मोबाइल फोन, टीवी, कंप्यूटर के माध्यम से भी बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रानिक कचरा निकल रहा है जो गंगा, नहर और तालाब के पानी को दूषित कर रहा है जो लोगों के लिए बड़ा हानिकारक है। लेकिन इन सबके के बीच केबल टीवी आपरेटरों का एक बड़ा संगठन हर साल राष्ट्रीय स्तर पर चेतना यात्रा निकालता है। देश भर के केबल आपरेटरों के संगठन को एक साथ जोड़ने की कोशिश के साथ ही चेतना यात्रा के अभियान में हर शहर में लगाए जाते हैं पौधे। EVERY STEP IS A GREEN STEP इस लक्ष्य के साथ देश के चेतना यात्रा देश के हर राज्य में पांच हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर चुकी है।

5.3 न्यू मीडिया का अभियान
जंगल, जमीन, पानी, हवा के बचाने में सिर्फ टीवी रेडियो की ही नहीं बल्कि न्यू मीडिया की भी भूमिका हो सकती है। कई संगठन इसका बखूबी इस्तेमाल भी कर रहे हैं। वेबसाइटस पर वाटर पोर्टल चलाया जा रहा है। http://hindi.indiawaterportal.org/  वेबसाइट पर  जाएं। यहां आपके पानी बचाने से जुड़ी हर कंपेन के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी। पानी बचाने से जुड़े कई नए शोध, देश भर के अखबारों मे छपने वाली खबरों की क्लिपिंग यहां मौजूद है। ये पोर्टल पानी बचाने को लेकर चलाए जा रहे हर तरह के प्रयासों की एक खिड़की है। वहीं मीडिया स्टडीज से जुड़े छात्र अब जल संरक्षण को लेकर अपने कंपेन को आगे बढाने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स का सहारा ले रहे हैं और उस पर अपने विचार लोगों तक शेयर कर रहे हैं।

5.4 कम्यूनिटी रेडियो का अभियान
हरियाणा के सिरसा का एक उदाहरण लेते हैं। सिरसा के सामुदयिक रेडियो स्टेशन 90.4 एफएम पर कार्यक्रम हैलो सिरसा के माध्यम से कई सालों से जल बचाओ अभियान चलाया जा रहा । सुरेंद्र कुमार ‘‘जल बचाओं अभियानसे पिछले 11 सालों जुड़े हुए है। जल संरक्षण के लिए वे कई शहरों में जाकर छात्रों को जागरूक करते 

Wednesday, April 22, 2015

विज्ञापन में विज्ञापन अपील और भाषा का महत्त्व
विज्ञापन आज सबसे ज्यादा अपने रचनात्मकता पे टीका हुआ है। और यह इसके अपील और इसके भाषा पे निर्भर है। आज विज्ञापन जिस तरह आकर्षक और बेबाकी भाषा उपयोग कर रही है, वह इन सारी चीजों को पूरी रह स्पष्ट करती है। आज अपील और भाषा दोनों नैतिकता को चोट पंहुचा रही है। इसके उपरांत भी विज्ञापन में इन दोनों का बहुत महत्त्व है। उत्पाद, विज्ञापन और ग्राहक का अदभूत रिश्ता विज्ञापन अपील और उसकी भाषा पर ही केन्द्रित होती है, जितना रोचक और सटीक अपील होगा, उत्पाद से ग्राहक का जुडाव उतना ही बेहतर होगा। आइये आगे विभिन्न विज्ञापन अपील पर नजर डालें। विज्ञापन में विज्ञापन अपील बहुत ही रोचक होता है।

Tuesday, April 14, 2015

न्यू मीडिया की अवधारणा

न्यू मीडिया' संचार का वह संवादात्मक (Interactive)स्वरूप है जिसमें इंटरनेट का उपयोग करते हुए हम पॉडकास्ट, आर एस एस फीड, सोशल नेटवर्क (फेसबुक, माई स्पेस, ट्वीट्र), ब्लाग्स, विक्किस, टैक्सट मैसेजिंग इत्यादि का उपयोग करते हुए पारस्परिकसंवाद स्थापित करते हैं। यह संवाद माध्यम बहु-संचार संवाद का रूप धारण कर लेता है जिसमें पाठक/दर्शक/श्रोता तुरंत अपनी टिप्पणी न केवल लेखक/प्रकाशक से साझा कर सकते हैं, बल्कि अन्य लोग भी प्रकाशित/प्रसारित/संचारित विषय-वस्तु पर अपनी टिप्पणी दे सकते हैं। यह टिप्पणियां एक से अधिक भी हो सकती है अर्थात बहुधा सशक्त टिप्पणियां परिचर्चा में परिवर्तित हो जाती हैं। उदाहरणत: आप फेसबुक को ही लें - यदि आप कोई संदेश प्रकाशित करते हैं और बहुत से लोग आपकी विषय-वस्तु पर टिप्पणी देते हैं तो कई बार पाठक-वर्ग परस्पर परिचर्चा आरम्भ कर देते हैं और लेखक एक से अधिक टिप्पणियों का उत्तरदेता है।
न्यू मीडिया वास्तव में परम्परागत मीडिया का संशोधित रूप है जिसमें तकनीकी क्रांतिकारी परिवर्तन व इसका नया रूप सम्मलित है।

न्यू मीडिया संसाधन
न्यू मीडिया का प्रयोग करने हेतु कम्प्यूटर, मोबाइल जैसे उपकरण जिनमें इंटरनेट की सुविधा हो, की आवश्यकता होती है। न्यू मीडिया प्रत्येक व्यक्ति कोविषय-वस्तु का सृजन, परिवर्धन, विषय-वस्तु का अन्य लोगों से साझा करने का अवसर समान रूप से प्रदान करता है। न्यू मीडिया के लिए उपयोग किए जाने वाले संसाधन अधिकतर निशुल्क या काफी सस्ते उपलब्ध हो जाते हैं।

न्यू मीडिया का भविष्य
यह सत्य है कि समय के अंतराल के साथ न्यू मीडियाकी परिभाषा और रूप दोनो बदल जाएं। जो आज नया है संभवत भविष्य में नया न रह जाएगा यथा इसे और संज्ञा दे दी जाए। भविष्य में इसके अभिलक्षणों में बदलाव, विकास या अन्य मीडिया में विलीन होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
न्यू मीडिया ने बड़े सशक्त रूप से प्रचलित पत्रकारिता को प्रभावित किया है। ज्यों-ज्यों नई तकनीक,आधुनिक सूचना-प्रणाली विकसित हो रही है त्यों-त्योंसंचार माध्यमों व पत्रकारिता में बदलाव अवश्यंभावी है।

न्यू मीडिया विशेषज्ञ या साधक
आप पिछले 15 सालों से ब्लागिंग कर रहे हैं, लंबे समय से फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब इत्यादि का उपयोग कर रहे हैं जिसके लिए आप इंटरनेट, मोबाइल व कम्प्यूटर का प्रयोग भी करते हैं तो क्या आप न्यू मीडिया विशेषज्ञ हुए? ब्लागिंग करना व मोबाइल से फोटो अपलोड कर देना ही काफी नहीं है। आपको इन सभी का विस्तृत व आंतरिक ज्ञान भी आवश्यक है। न्यू मीडिया की आधारभूत वांछित योग्यताओं की सूची काफी लंबी है और अब तो अनेक शैक्षणिक संस्थान केवल  'न्यू मीडिया' का विशेष प्रशिक्षण भी दे रहे हैं या पत्रकारिता में इसे सम्मिलित कर चुके हैं।
ब्लागिंग के लिए आप सर्वथा स्वतंत्र है लेकिन आपको अपनी मर्यादाओं का ज्ञान और मौलिक अधिकारों की स्वतंत्रता की सीमाओं का भान भी आवश्यक है। आपकी भाषा मर्यादित हो और आप आत्मसंयम बरतें अन्यथा जनसंचार के इन संसाधनों का कोई विशेष अर्थ व सार्थक परिणाम नहीं होगा।
इंटरनेट पर पत्रकारिता के विभिन्न रूप सामने आए हैं -
अभिमत - जो पूर्णतया आपके विचारों पर आधारित है जैसे ब्लागिंग,फेसबुक या टिप्पणियां देना इत्यादि।
प्रकाशित सामग्री या उपलब्ध सामग्री का वेब प्रकाशन  - जैसे समाचारपत्र-पत्रिकाओं के वेब अवतार।
पोर्टल व वेब पत्र-पत्रकाएं (ई-पेपर और ई-जीन जिसे वेबजीन भी कहा जाता है)
पॉडकास्ट - जो वेब पर प्रसारण का साधन है।
कोई भी व्यक्ति जो 'न्यू मीडिया' के साथ किसी भी रूप में जुड़ा हुआ है किंतु वांछित योग्यताएं नहीं रखता उसे हम 'न्यू मीडिया विशेषज्ञ' न कह कर 'न्यू मीडिया साधक'कहना अधिक उपयुक्त समझते हैं।

न्यू मीडिया और ऑनलाइन पत्रकारिता की नई माँगें
नि:संदेह न्यू मीडिया बड़े सशक्त रूप से परंपरागतप्रचलित मीडिया को प्रभावित कर रहा है। आज पत्रकारों को  न्यू मीडिया से जुड़ने के लिए नई तकनीक, आधुनिक सूचना-प्रणाली, सोशल-मीडिया, सर्च इंजन प्रवीणता और वेब शब्दावली से परिचय होना अति-आवश्यक हो गया है। केवल ब्लागिंग मात्र करने से आप संपूर्ण वेब-पत्रकार नहीं कहलाते। वेब-पत्रकारिता का क्षेत्र काफी विस्तृत है और आपको पत्रकारिता के अतिरिक्त वेब, मल्टीमीडिया, सर्च इंजन और उनकी कार्यप्रणाली व ग्रॉफिक की समझ होनी चाहिए। इन तत्वों के बिना भी आप न्यू मीडिया में काम तो कर सकते हैं परंतु एक सक्षम वेब पत्रकार के लिए इनमें प्रवीणता हासिल करना उपयोगी होगा।
आइए, देखें एक वेब पत्रकार के लिए किन-किन योग्यताओं की आवश्यकता होती है:
पत्रकारिता का ज्ञान
इंटरनेट का उपयोग
सर्च इंजन उपयोग में दक्षता
इंटरनेट इंवेस्टिगेश
एच टी एम एल ( html ) का आधारभूत ज्ञान
यदि हम हिंदी वेब पत्रकारिता में काम करना चाहते हैं तो हिंदी यूनिकोड का ज्ञान व हिंदी टंकण
ब्लागिंग जैसे वर्डप्रैस, गूगल ब्लाग्स इत्यादि
सर्च इंजन आप्टिमज़ैशन (एस सी ओ)
सी एम एस (कांटेंट मैनेजमैंट स्सिटम) जैसे जुमला, वर्ड प्रैस, सी एम एस एम एस इत्यादि
यू ट्यूब इत्यादि पर वीडियो अपलोड कैसे करे, मैटा टैग कैसे लिखे इत्यादि
बेसिक ग्रॉफिक का ज्ञान जैसे अडोबी फोटोशॉप पर फोटो को संपादित करना व उसे वेब के लिए तैयार करना
बेसिक वीडियो व ऑडीओ एडटिंग
पॉडकास्ट
आर एस एस फीड
सोशल नेटवर्क (फेसबुक, माई स्पेस, गूगल प्लस, ट्विटर),
उपरोक्त अधिकतर योग्यताओं में यदि पूर्ण निपुणता न भी हो लेकिन इनका आधारभूत ज्ञान न होने पर वेब-पत्रकारिता का सफल होना संभव नहीं। हाँ, आप परंपरागत पत्रकारिता को ही वेब-पत्रकारिता कहते या समझते रहे तो अलग बात है।
कम्प्युटर क्रांति एवं न्यू मीडिया
आधुनिक युग के विकास में कंप्यूटर का योगदान अतुल्यनीय रहा है, फिर चाहे कोई भी क्षेत्र क्यों ना हो, आज कंप्यूटर की मौजूदगी हर कहीं सहजता से देखी जा सकती है| आज हमारे रोजमर्रा के हर कार्य कंप्यूटर पर ही निर्भर करते हैं, रेल तिकट आरक्षित करना हो या ATM मशीन से कुछ रुपये निकालनें हों, या चाहे फोटो ही क्यों ना खिंचवानी हो ये सभी कार्य आज कंप्यूटर के जरिये बड़ी ही आसानी से एवं कम समय में और तो और कम लागत में हो जाता है|
विज्ञान, तकनीकी, शोध, चिकित्सा, प्राद्योगिकी, उड्डयन, संचार एवं शिक्षा के साथ-साथ कंप्यूटर ने कृषि के क्षेत्र की प्रगति में भी बड़ी अहम् भूमिका अदा की है| आज कंप्यूटर क्रांति ने मानों सारे विश्व को एक सूत्र में बाँध दिया है| इन्टरनेट ने तो कंप्यूटर के प्रचार-प्रसार में बड़ा ही अहम् भूमिका निभाया है| आज हम इन्टरनेट के जरिये दुनिया के एक कोने से दुसरे कोने में पलक झपकने भर में ही संपर्क साध सकते हैं, ई-मेल ने तो पत्र-व्यवहार का काया-कल्प ही कर दिया है| जहाँ साधारण डाक द्वारा पत्राचार की प्रक्रिया में कई दिन लग जाते थे, वहीँ आज ई-मेल के जरिये संदेश चंद सेकंड्स में ही दुनिया के किसी भी कोने में बड़ी ही आसानी से भेजे जा रहे हैं; और तो और आप इन्टरनेट टेलेफोनी के जरिये कहीं से-कहीं भी बातें कर सकते हैं एकदम वैसे ही जैसे हम टेलेफोन के जरिये करते हैं|
जिस तेजी से एवं इतने कम समय में कंप्यूटर का विकास हुआ है, इतनी तेजी से दुनिया का दूसरा कोई भी विकास नही देखा गया, इसे हम क्रांति नहीं तो और क्या कहेंगे! यही वजह है की यह युग "कंप्यूटर का यूग" के नाम से जाना जाता है! आम भाषा में कहें तो आज हर एक वस्तु का कंप्यूटरीकरण हो गया है| कंप्यूटर ने हर क्षेत्र को एक नया आयाम दे दिया है| शिक्षा के क्षेत्र में भी कंप्यूटर ने क्रांति कर दिया है| आज पाठ्यक्रम में कंप्यूटर एक अहम् एवं अनिवार्य हिस्सा बन गया है| यहाँ तक कि कंप्यूटर ने बच्चों के खेल में भी अपनी पकड़ को मजबूत कर रखा है, विडियो/कंप्यूटर गेम्स बच्चों में ही नहीं अपितु बड़ों में भी बेहद ही लोकप्रिय हो चला है| संगीत सुनना हो या फिर कोई फ़िल्म देखनी हो या फिर चित्रकारी ही क्यों ना करनी हो कंप्यूटर के द्वारा ये सब सम्भव है| यही खूबी कंप्यूटर को "हर कार्य सक्षम" का प्रमाण प्रदान कराती है|
जिस प्रकार हम बिजली एवं अन्य संसाधनों के बिना जीवन कि कल्पना नहीं कर सकते उसी प्रकार आज के युगमें हम कंप्यूटर के बिना रोजमर्रा होने वाले कार्यों कि कल्पना भी नही कर सकते|
कंप्यूटर की संरचना एवं उसकी कार्यप्रणाली अंग्रेजी में होने की वजह से आम हिन्दी भाषियों को कंप्यूटर समझने एवं उस पर कार्य कराने में काफ़ी दिक्कत होती रही है, कंप्यूटर समझने और उस पर कार्य करने के लिए अंग्रेजी भाषा का साधारण ज्ञान होना आवश्यक है, परन्तु पिछले कुछ वर्षों से कंप्यूटर की पहुँच हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषियों तक पहुँचाने की कोशिश की जा रही है और ये बहुत हद तक सम्भव भी हुआ है| आज कंप्यूटर सिर्फ़ अंग्रेज़ी भाषा तक सिमित नहीं रहा, बल्कि अब वह भारतीय ही नहीं अपितु दुनिया की अन्य कई महत्वपूर्ण भाषाओँ में भी फल-फुल रही है और अपनी पहुँच हर किसी तक पहुँचाने में सक्षम हुई है|
आज जीवन के हर क्षेत्र में कंप्यूटर की उपयोगिता महत्त्वपूर्ण साबित हो रही है| हर कहीं कंप्यूटर का बोल-बाला ऐसे ही नहीं है, कंप्यूटर की अपारसपफलता का राज़ उसकी कई विशिष्ट खूबियाँ हैं|
कंप्यूटर का इतिहास 
स्पीडोमीटर के निर्माता - 1 कंप्यूटर एक 19 वीं सदी के ब्रिटिश गणितज्ञ नाम चार्ल्स Babbage द्वारा अवधारणा थी जिसका विश्लेषणात्मक इंजन, स्मृति के साथ एक क्रमादेश तर्क केंद्र बनाया गया था, भले ही Babbage 40 साल के लिए उस पर काम नहीं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश निर्मित भीमाकार मैं, एक नाजी सैन्य कोड को तोड़ने के लिए डिज़ाइन कंप्यूटर, जबकि हार्वर्ड में, आईबीएम मार्क मैं कंप्यूटर इकट्ठा किया गया था. 1946 में, ENIAC (इलेक्ट्रॉनिक संख्यात्मक संपूर्न और कैलकुलेटर), पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में काम करने के लिए रखा गया था. तोपखाने फायरिंग की गणना करने के लिए बनाया गया है, ENIAC अमेरिका की पहली डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था. विपरीत - उनमें से वास्तव में 18,000, और बहुत तेजी से था मार्क मैं, जो electromechanical रिले, इस्तेमाल किया ENIAC वैक्यूम ट्यूबों का इस्तेमाल किया. मार्क मैं बादशाह, और ENIAC बाइनरी सिस्टम है, जो दो अंक, 0 और 1 के लिए गिनती की प्रक्रिया को कम इस्तेमाल किया. यह कंप्यूटर संचालन के आधार के साथ संगत था, पर बंद के संयोजन (हाँ, नहीं) तर्क फाटकों कहा जाता है कि विद्युत शुल्क और उत्पादन बिट्स बुलाया जानकारी के लिए प्रतिक्रिया व्यक्त स्विच. (आठ बिट के एक समूह एक बाइट बुलाया गया था.) 1947 में, बेल लेबोरेटरीज ट्रांजिस्टर, जो एक तेजी से मौजूदा बिजली छोटे नाली के रूप में वैक्यूम ट्यूब की जगह और कुछ साल बाद लैब्स लेप्रेचौं उत्पादित, दुनिया का पहला पूरी तरह का आविष्कार कंप्यूटर transistorized. ट्रांजिस्टर अन्वेषकों, विलियम शॉकले, बेल लेबोरेटरीज छोड़ दिया और पालो अल्टो, कैलिफोर्निया में अपनी कंपनी शुरू कर दिया - एक क्षेत्र के केंद्र में है कि जल्द ही सिलिकन वैली के रूप में जाना जाएगा. शॉकले (दूसरों के बीच) को पता चला है कि परस्पर या ट्रांजिस्टर सर्किट के किसी भी संख्या सिलिकॉन की एक माइक्रोचिप पर रखा जा सकता है. माइक्रोचिप का एक दोष यह है कि यह "कठिन वायर्ड" और इस प्रकार केवल कर्तव्यों प्रदर्शन कर सकता है जिसके लिए इसे बनाया गया था माइक्रोप्रोसेसर की इंटेल कॉर्पोरेशन के आविष्कार के द्वारा हल किया गया था. माइक्रोप्रोसेसर एक सिंगल चिप कार्यक्रम के लिए कार्यों की एक किस्म का प्रदर्शन कर सकता है. इन तकनीकी विकास को कंप्यूटर छोटे, तेज और अधिक किफायती बनाया, पर्सनल कंप्यूटर के आगमन के लिए जिस तरह फ़र्श.
पहला पर्सनल कंप्यूटर अल्टेयर 8800, जो संक्षेप में 1975 में दृश्य पर दिखाई दिया था. दो साल बाद, एप्पल द्वितीय अनावरण किया गया था. समय के अनुसार, यह "मशीन है कि क्रांति की," था और स्टीवन नौकरियां और स्टीवन Wozniak की संतानों था. बाद एप्पल सितारा डिजाइनर था, जबकि नौकरियां अलौकिक विपणन कौशल 1983 तक 1.7 अरब डॉलर मूल्य के शेयर के साथ एक बहुत ही लाभदायक चिंता में एप्पल बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है. व्यक्तिगत कंप्यूटर लंबे समय से एप्पल और एक या दो अन्य कल का नवाब कंपनियों के निजी डोमेन नहीं रह था. 1981 में, आईबीएम अपने पीसी शुरू की, पहले विनिर्माण mainframe व्यवसाय कंप्यूटर पर अपने प्रयासों को ध्यान केंद्रित. शामिल इंटेल माइक्रोप्रोसेसर, आईबीएम पीसी गुणवत्ता के लिए मानक निर्धारित किया है. वह उसी वर्ष, एडम ओसबोर्न, बैंकॉक में जन्मे ब्रिटिश स्तंभकार, detachable कुंजीपटल के साथ एक 24 पाउंड पोर्टेबल कंप्यूटर, स्मृति की 64K और एक अल्पार्थक पांच इंच स्क्रीन, जो +१,७९५ $ के लिए retailed शुरू. लैपटॉप के पूर्वज, ओसबोर्न मैं इतना सफल रहा कि imitators से एक मेजबान जल्दी पीछा किया था. इससे भी अधिक ओसबोर्न, क्लाइव सिंक्लेयर ZX80 12 औंस, 1980 में विपणन (अमेरिका में 1000 Sinclair टाइमेक्स के रूप में) की तुलना में कॉम्पैक्ट की अपनी सीमाएं 99 $ सूची मूल्य के लिए धन्यवाद के बावजूद में कंप्यूटर की संभावनाओं के लिए कई लोगों को शुरू की. जल्दी अस्सी के दशक के सबसे लोकप्रिय और कम से कम महंगी निजी कंप्यूटर के 595 $ कमोडोर 64 था.
संबंधित कंप्यूटर क्रांति के परिणाम के बारे में व्यक्त किए गए. एक तर्क यह था कि कंप्यूटर को "अमीर" और के बीच की खाई को चौड़ा "वंचितों," के रूप में यह लग रहा था कि केवल विवेकाधीन आय का अच्छा educations और बहुत सारे के साथ उन लोगों के "सूचना नेटवर्क" में प्लग करने के लिए खर्च कर सकते हैं के रूप में प्रतिनिधित्व, जल्दी दशक में, स्रोत, एक रीडर्स डाइजेस्ट सहायक, एक कानूनी Westlaw बुलाया डेटाबेस, और अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के AMA / नेट की तरह लगभग 1,500 डेटाबेस से. दूसरों को चिंता है कि लोगों को कंप्यूटर पर बहुत ज्यादा भरोसा करने के लिए क्या एक बार वे अपने खुद के सिर में किया था, अर्थात् याद और विश्लेषण करने के लिए, इसलिए अनावश्यक सीखने का एक बहुत बनाने के लिए आ जाएगा. अभी भी दूसरों को आशंका है कि कंप्यूटर क्रांति के एक तेजी से पृथक आबादी में नतीजा होगा, जब लोगों को अपनी कंपनी के साथ घर नेटवर्किंग, कंप्यूटर के माध्यम से काम किया है, वे व्यक्तिगत संपर्क है कि कार्यस्थल समुदाय के सामाजिक ताने - बाने में एक आवश्यक तत्व बनाया खो जाएगा. डर गया था, के रूप में अच्छी तरह से, कि उद्योग के कम्प्यूटरीकरण कर्मचारियों को अपनी नौकरी का खर्च आएगा. एल्विन Toppler, 1980 बेस्टसेलर तीसरी लहर के लेखक, Futurists एक नहीं, बहुत दूर के भविष्य की कल्पना जब एक पूरे परिवार को जानने के लिए, काम करने के लिए और एक "इलेक्ट्रॉनिक चूल्हा" के आसपास खेलने - घर में कंप्यूटर है.
समर्थकों ने कहा कि कंप्यूटर के लिए मानवता के लिए एक जबरदस्त वरदान साबित होगा. चिकित्सा के क्षेत्र में कंप्यूटर के लाभदायक प्रभाव काफी था, शल्य anethesia, रक्त परीक्षण और नसों में इंजेक्शन के रूप में ऐसी प्रक्रियाओं में अधिक सटीक माप और निगरानी प्रदान. कंप्यूटर चौड़ी एक करोड़ शारीरिक रूप से विकलांग अमेरिकियों, जिनमें से कई आगे और पीछे बदलना करने के लिए काम करने में असमर्थ थे के लिए रोजगार के क्षितिज का वादा किया. और अमेरिकियों के बहुमत का मानना है कि कंप्यूटर एक उत्कृष्ट शैक्षिक उपकरण थे. एक 1982 Yankelovich सर्वेक्षण से पता चला अमेरिकियों आमतौर पर dawning कंप्यूटर आयु के बारे में आशावादी थे, 68 प्रतिशत सोचा था कि कंप्यूटर को अपने बच्चों की शिक्षा में सुधार करने के लिए, 80 प्रतिशत की उम्मीद कंप्यूटर घर में टीवी के रूप में आम के रूप में बन, और 67 प्रतिशत का मानना था कि वे जीवन स्तर के माध्यम से उठाना होगा उत्पादकता बढ़ाने के. एक परिणाम के रूप में, 1982 में अमेरिका में 2.8 लाख कंप्यूटरों बेच रहे थे, 1981 में चौदह लाख से ऊपर है, जो बदले में 1980 में बेचा संख्या दोगुनी थी. 1982 में 100 कंपनियों की बिक्री में 5 अरब डॉलर टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स, एप्पल, आईबीएम, कमोडोर, टाइमेक्स और निजी कंप्यूटर बाजार में frontrunners अटारी के साथ साझा की है. और 1982 से देश के पब्लिक स्कूलों में 100,000 से अधिक कंप्यूटर थे. शिक्षकों के लिए रिपोर्ट है कि कंप्यूटर उजागर करने के लिए छात्रों को और अधिक अध्ययन किया और समस्या को सुलझाने में और अधिक कुशल थे खुश थे. बच्चों के कंप्यूटर क्लब में शामिल हो गए है और गर्मियों में कंप्यूटर शिविरों में भाग लिया. 1982 के लिए "मैन ऑफ द ईयर" नामकरण के एवज में, समय कंप्यूटर नाम "वर्ष की मशीन."
पूर्ण गला घोंटना पर मध्य दशक कंप्यूटर सनक था. वॉल स्ट्रीट पर, 36 कंप्यूटर से संबंधित कंपनियों के शेयर की 798 करोड़ डॉलर मूल्य के साथ सार्वजनिक चला गया था. 1984 व्यक्तिगत कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर की खुदरा बिक्री 15 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. तथाकथित कंप्यूटर में उद्यमशीलता की एक बाढ़ कंप्यूटर प्रशिक्षण और tutoring सेवाओं, विशेषता फर्नीचर, और प्रकाशन के रूप में ऐसी वस्तुओं की बिक्री में 1.4 अरब डॉलर का उत्पादन "aftermarket". क्षेत्र के उत्तरार्द्ध में प्रिंट में व्यक्तिगत कंप्यूटिंग पर 4200 किताबें (केवल 1980 में 500 की तुलना), के रूप में के रूप में अच्छी तरह से 300 पत्रिकाओं बाइट और लोकप्रिय कम्प्यूटिंग सहित थे. इसके अलावा, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के हजारों कि बिक्री 2 अरब डॉलर 1984 से सालाना पार हो गई के अपने हिस्से के लिए जमकर हिस्सा. बैंक, एयरलाइंस और सरकार के लिए एक और 11 अरब डॉलर mainframe सॉफ्टवेयर पट्टे पर बनाया गया था. सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता माइक्रोसॉफ्ट के बारे में 100 मिलियन डॉलर का 1984 के राजस्व के साथ किया गया था. सिस्टम सॉफ्टवेयर Microsoft एमएस - डॉस और यूनिक्स एटी एंड टी की तरह, एक कम्प्यूटर प्रणाली के विभिन्न तत्वों को एक सुर में काम करने के निर्देश दिए. एक अन्य लोकप्रिय सॉफ्टवेयर प्रोग्राम Lotus 1-2-3, एक स्प्रेडशीट प्लस व्यापार बाजार में इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग प्रणाली लोकप्रिय था. सॉफ्टवेयर गुणवत्ता बकाया से भयंकर को लेकर है, के रूप में कीमतों था. और दो साल से सॉफ्टवेयर त्रुटियों एप्पल Macintosh कंप्यूटर के रिलीज delated. सॉफ्टवेयर pirating एक बड़ा व्यापार बन गया है, के रूप में अच्छी तरह से. यह अनुमान लगाया गया था कि एक कार्यक्रम के रूप में कई के रूप में 20 pirated प्रतियां हर एक वैध खरीद के लिए peddled थे.
सार्वजनिक क्षेत्र की क्रांति को गले लगा लिया. सरकार में कचरे के राष्ट्रपति समीक्षा - अनुग्रह आयोग की आलोचना की कि यह क्या करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों के द्वारा प्रस्तुत अवसरों को जब्त करने की विफलता के रूप में देखा था, और एक पाँच साल की योजना 1983 में शुरू की, सरकार कंप्यूटर व्यय में वृद्धि के द्वारा पीछा किया गया था . लक्ष्य है, एक सामान्य सेवा प्रशासन के अधिकारी के अनुसार, "प्रबंधकों के हाथों में एक लाख कंप्यूटरों के रूप में के रूप में अच्छी तरह से जो लोग उन्हें हवाई यातायात नियंत्रण, सीमा शुल्क, पासपोर्ट और सामाजिक सुरक्षा के रूप में ऐसी बातों के लिए दैनिक की जरूरत है." रखा गया था व्हाइट हाउस में ही कम्प्यूटरीकृत 150 एक शक्तिशाली केंद्रीय प्रणाली के लिए जुड़े टर्मिनलों के साथ बन गए. खजाना सचिव डोनाल्ड रेगन की तरह मंत्रिमंडल के सदस्यों को उनके साथ डेस्कटॉप इकाइयों हर जगह किया जाता है. एक ईमेल नेटवर्क 22 संघीय एजेंसियों के साथ प्रशासन जुड़ा हुआ है. कांग्रेस के पुस्तकालय सार्वजनिक पुनर्प्राप्ति के लिए डिजिटल ऑप्टिकल डिस्क पर अपनी और अधिक मूल्यवान संग्रह नकल शुरू कर दिया. बेथेस्डा में मेडिसिन के राष्ट्रीय पुस्तकालय, मेरीलैंड पांच लाख चिकित्सा किताबें और एक एकल डाटाबेस में लेख के इलेक्ट्रॉनिक प्रतियां जमा. 1984 में आंतरिक राजस्व सेवा ऑप्टिकल स्कैनर का उपयोग करने के लिए एक कंप्यूटर सिस्टम में 18 मिलियन 1040EZ कर रूपों की प्रक्रिया शुरू कर दिया. और एफबीआई संगठित अपराध सूचना प्रणाली, एक $ 7 मिलियन कंप्यूटर, अपराधियों और संदिग्धों के हजारों पर डेटा संकलन शुरू कर दिया.
1988 तक, कंप्यूटर वायरस को एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया था. कि अकेले वर्ष में एक नौ महीने की अवधि में 250,000 से अधिक कंप्यूटर संक्रमित थे, डेटा सिस्टम के जोखिम के बारे में गंभीर संदेह को ऊपर उठाने. पहला कंप्यूटर वायरस आपराधिक मुकदमे फोर्ट वर्थ, टेक्सास में आयोजित किया गया कि वर्ष के सितंबर में. वादी, एक असंतुष्ट पूर्व कर्मचारी, एक वायरस है कि 168.000 बिक्री आयोग रिकॉर्ड नष्ट कर दिया के साथ अपने पूर्व कंपनी के कंप्यूटर को संक्रमित करने का आरोप लगाया था. उनके जैविक समकक्षों की तरह, इस तरह के वायरस के लिए खुद का सही प्रतिकृतियां प्रतिलिपि सॉफ्टवेयर है कि मेजबान कंप्यूटर के साथ संपर्क में आया को संक्रमित करने के लिए डिजाइन किए गए थे. और वहाँ कोई कह रहा था जहां एक वायरस हड़ताल होगा. एक वायरस, लाहौर, पाकिस्तान में एक कंप्यूटर की दुकान के मालिकों द्वारा उत्पादित, बोइंग, नासा, आईआरएस और अमेरिका में जार्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में स्कोर डलास स्थित एक कंप्यूटर सेवा कंपनी से फैला वायरस 10,000 आईबीएम पीसी डिस्क को संक्रमित करने में कामयाब प्रतिनिधि सभा. चिंता का विषय है कि एक दिन एक "हत्यारा" वायरस अपने जिस तरह से देश की int इलेक्ट्रॉनिक धन हस्तांतरण प्रणाली, स्टॉक एक्सचेंज कंप्यूटर केंद्रों दुर्घटना, या हाथापाई हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली मिल जाएगा. जवाब में, 48 राज्यों जल्दी कंप्यूटर शरारत कानून पारित कर दिया है, जबकि कंपनियों और कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं antiviral कार्यक्रम बनाने के तले.
जाहिर है, 1980 के दशक के कंप्यूटर क्रांति एक नया मोर्चा खोला है, एक है कि अमेरिकियों, उनके अग्रणी परंपराओं को सच का पता लगाने के लिए उत्सुक थे. अप्रत्याशित खतरों घात में रहना है, लेकिन हमारे जीवन को बढ़ाने के मामले में असीम संभावनाएं थे.

Supercomputers- 
दशक के अंत के रूप में संपर्क किया, supercomputers के बीच 5 करोड़ डॉलर और $ 25 लाख प्रत्येक की लागत - नए तेल भंडार का पता लगाने, शानदार हॉलीवुड के विशेष प्रभाव, डिजाइन और नए सैन्य हथियार बनाने के लिए, कृत्रिम अंग, जेट इंजन का उल्लेख नहीं है के लिए इस्तेमाल किया गया जा रहा है , और निजी उद्योग के लिए अन्य उत्पादों की एक मेजबान. प्रति सेकंड आपरेशन के अरबों - इन मशीनों gigaflops में मापा गति से डेटा की कमी करने में सक्षम थे. आकार में, कोई एक हॉट टब से बड़े थे. राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन के पांच केन्द्रों सुपर कंप्यूटर है जो 1988 तक 200 विश्वविद्यालयों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं से जुड़े थे की स्थापना की. लॉस एलामोस राष्ट्रीय प्रयोगशाला ग्यारह supercomputers उपयोग किया. 1988 में, आईबीएम वित्तपोषित एक समानांतर प्रसंस्करण शामिल मशीन, अग्रानुक्रम में 64 प्रोसेसर का उपयोग करें, जो supercomputers की तुलना में यह 100 गुना तेजी से फिर से उपयोग में करना होगा. एक ही समय में, आईबीएम TF-1 पर काम कर रहा था, 33,000 उच्च गति प्रसंस्करण इकाइयों से मिलकर एक कंप्यूटर है कि 20,000 बार बाजार पर कुछ भी की तुलना में तेजी से होगा.
कंप्यूटर की कुछ प्रमुख विशेषताएं: 
1) स्वचलित (Automation): कंप्यूटर की संरचना इस प्रकार की गयी है की वो दिए गए कार्य को किसी भी प्रकार के बाहरी सहायता के स्वयं ही उसमें दर्ज निर्देशानुसार पुरा करता है और हमें इच्छित परिणाम देता है| परन्तु ऐसा बिल्कुल नहीं है की कंप्यूटर हमारी ही तरह समझबूझ रखता है अथवा स्वावलंबी होता है, कंप्यूटर में किसी भी कार्य को सुचारू रूप से दिए गए निर्देशों के आधार पर कैसे पुरा करना है इसकी जानकारी पहले से ही भरी हुई होती है, जिसकी सहायता से वह कार्य करता है| कंप्यूटर में तरह-तरह के कार्य करने के लिए विशेष प्रकार के प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर होते हैं जिनमें कोई कार्य कैसे करना है उसकी जानकारी पहले से ही भरी हुई होती है|
भिन्न-भिन्न कार्यों को करने के लिए अलग सॉफ्टवेयर होते हैं|
2) तीव्रता (Speed): कंप्यूटर में किसी भी प्रकार की गणना को पलकभर में ही हल करने की क्षमता होती है, जटिल से जटिल प्रकार की गणनाएं वह बड़ी ही तीव्रता एवं पुरी सटीकता से पुरा करता है| कई प्रकार की गणितीय/भौमितिक/भौगोलिय/वैज्ञानिक/आकाशीय आदि गणनाएँ जिन्हें पुरा करने में हमें कई वर्षों यहाँ तक की पुरा जीवन भी लग सकता हैं, उन्हें कंप्यूटर कुछ ही क्षणों में बड़ी ही सरलता से पुरा कर लेता है|
हम किसी यात्रा की दुरी को तय करने की तीव्रता, प्रति घंटा कितनी दुरी तय की गयी इस प्रकार आंकते करते है, किसी कार्य को पुरा करने में जितना समय लगता है वह उस कार्य को करने की तीव्रता दर्शाता है| कंप्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकंड्स, प्रति मिलिसेकंड्स, प्रतिमाइक्रो सेकंड्स, प्रति नेनोसेकंड्स ईत्यादी में आंकी जाती है, कंप्यूटर लाखों-करोणों निर्देश प्रतिसेकंड्स की दर से करने में सक्षम है|
3)सटीकता (Accuracy): कंप्यूटर हर कार्य तीव्रता से तो करता ही है, साथ ही साथ हर परिणाम की सटीकता भी बरकरार रखता है। चूँकि कंप्यूटर एक यंत्र है, इसलिए वो जो भी कार्य करता है उसे निर्दिष्ट पद्धति के आधार पर ही करता है, जिससे की किसी भी प्रकार के चूक की संभावना न के बराबर होती है| यदि कंप्यूटर किसी कार्य का गलत परिणाम देता है तो भी उसमें कंप्यूटर की जरा भी गलती नहीं होती, क्योंकि कंप्यूटर तो हमारे द्वारा बनाये गए प्रोग्राम द्वारा निर्दिष्ट निर्देश का पालन करके ही किसी कार्य को अंजाम देता है, तो यदि कोई त्रुटी होती भी है तो उसे इंसानी भूल ही कहा जायेगा| सम्भवत: प्रोग्राम लिखते समय प्रोग्रामर से ही कोई त्रुटी हो जाती है, जिसके फलत: कंप्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम गलत हो|
4) संचयन (Memory & Storage): कंप्यूटर में हर तरह के जानकारी एवं आंकडों को संचित व स्मरण रखने की अभूतपूर्व क्षमता होती है| जब भी किसी जानकारी की जरुरत होती है कंप्यूटर उसे तुंरत ही संचित जानकारी में से हासिल कर लेता है| रोजमर्रा की जिंदगी में हम प्रतिदिन हजारों जानकारी एवं अनुभवों से गुजरते है, परन्तु हमारा मस्तिष्क उन सभी जानकारी व अनुभवों को सदा के लिए संचित नहीं रखता, जो भी अनुभव या जानकारी हम याद रखना चाहते हैं हमारा मस्तिष्क उन्हें ही संचित करता है तथा गैरजरूरी जानकारी को सन: सन: हमारी याददास्त से निकालता जाता है| परन्तु कंप्यूटर में आंकडों को लंबे समय तक याद/संचित रखनें के लिए एक विशिष्ट युक्ति होती है जिसे द्वितीय मेमरी (Secondory Storage Device) कहते हैं| एक बार जो भी जानकारी संरक्षित कर दिया जाता है वह फिर सदा के लिए बना रहता है, वह तभी मिटता है जब की उपयोगकर्ता स्वयं ही उसे नहीं मिटा देता|
5) क्षमता एवं उत्पादकता (Diligence): कंप्यूटर हर कार्य बड़ी ही संजीदगी से करते हैं, उन्हें हमारी तरह कभी भी थकान महसूस नहीं होती| एक ही प्रकार के कार्य करते करते इंसान उब सकते जिससे उनकी उत्पादकता तथा गुणवत्ता का स्तर घट सकता है, उसके विपरीत कंप्यूटर में एक ही काम बिना रुके लगातार करने की क्षमता होती है, और वे उत्पादकता एवं गुद्वात्ता से जरा भी समझौता नहीं करते| वे एक ही बार में कई तरह के कार्य कर सकते हैं, उनमें अपार शक्ति होती है| जो कार्य कई लोगों को मिलकर पुरा करने में महीनों लग सकते हैं उन्हें कंप्यूटर चुटकी बजाते ही पुरा कर सकने में सामर्थ्यवान होते हैं|
6) बहुमुखी प्रतिभा (Versatility): कंप्यूटर विविध प्रकार के कार्य करने में पारंगत होते हैं| चाहे जटील से जटील गणितीय गणनाएँ करना हो, किसी जानकारी का अवलोकन करना हो, मौसम का हाल जानना हो, दूरध्वनी का प्रषारण करना हो, चिकित्सकीय इलाज करना हो, दस्तावेज तैयारकरना हो ऐसे कई कार्य कंप्यूटर बड़ी ही आसानी से पुरा कर लेता है| मोबाइल फ़ोन भी कंप्यूटर कही ही एक रूप है, इनका उपयोग सिर्फ किसी सेसंपर्क साधने तक ही सिमित नहीं रहा, अब ये भी एक साथ कई कार्य कर सकने में सक्षम होते हैं|
निर्देशों की सूचि जिसे प्रोग्राम कहते हैं, का क्रियान्वयन और प्राप्त जानकारी को रक्षित करनें करनें की क्षमता ही कंप्यूटर को सबसे अलग बनती है, कंप्यूटर की यही विशेषता इसे एक कैलकुलेटर से भिन्न बनती है |
7) भवनाहीनता (No Feelings): हम इंसानों की तरह कंप्यूटर की अपनी कोई भावना या चेतना नहीं होती| किसी कार्य को निरंतर करते रहने पर भी उसे चिढ़, थकान या उबन नहीं होती| चूँकि कंप्यूटर कलपुर्जों से बना एक मशीन मात्र है इसलिए उसे कभी भी खुशी, दुःख या उत्तेजना महसूस नहीं होती|
8) बुद्धिहीनता (Absence of IQ): कंप्यूटर की अपनी कोई बुध्धिमत्ता नहीं होती| कंप्यूटर किसी भी प्रकार की व्यवहारिक या आतंरिक गड़बडी कोकैसे दुर करना है इसका निर्णय स्वयं नहीं ले सकता, इसके लिए उसे उपयोगकर्ता के निर्देश पर निर्भर रहना पड़ता है| कंप्यूटर स्वयं चालू-बंद नहीं हो सकता| कंप्यूटर छोटे बच्चों की तरह ही होत हैं, वे बिलकुल वैसा ही करते हैं जैसा की हम चाहते हैं या\और उन्हें सिखाते या बताते हैं|
इंटरनेट का आगमन और विकास 
इंटरनेट का सफर, १९७० के दशक में, विंट सर्फ (Vint Cerf) और बाब काहन् (Bob Kanh) ने शुरू किया। उन्होनें एक ऐसे तरीके का आविष्कार किया, जिसके द्वारा कंप्यूटर पर किसी सूचना को छोटे-छोटे पैकेट में तोड़ा जा सकता था और दूसरे कम्प्यूटर में इस प्रकार से भेजा जा सकता था कि वे पैकेट दूसरे कम्प्यूटर पर पहुंच कर पुनः उस सूचना कि प्रतिलिपी बना सकें - अथार्त कंप्यूटरों के बीच संवाद करने का तरीका निकाला। इस तरीके को ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल कहा गया।
सूचना का इस तरह से आदान प्रदान करना तब भी दुहराया जा सकता है जब किसी भी नेटवर्क में दो से अधिक कंप्यूटर हों। क्योंकि किसी भी नेटवर्क में हर कम्प्यूटर का खास पता होता है। इस पते को इण्टरनेट प्रोटोकॉल पता {Internet Protocol (I.P.) address} कहा जाता है। इण्टरनेट प्रोटोकॉल (I.P.) पता वास्तव में कुछ नम्बर होते हैं जो एक दूसरे से एक बिंदु के द्वारा अलग-अलग किए गए हैं।
सूचना को जब छोटे-छोटे पैकेटों में तोड़ कर दूसरे कम्प्यूटर में भेजा जाता है तो यह पैकेट एक तरह से एक चिट्ठी होती है जिसमें भेजने वाले कम्प्यूटर का पता और पाने वाले कम्प्यूटर का पता लिखा होता है। जब वह पैकेट किसी भी नेटवर्क कम्प्यूटर के पास पहुंचता है तो कम्प्यूटर देखता है कि वह पैकेट उसके लिए भेजा गया है या नहीं। यदि वह पैकेट उसके लिए नहीं भेजा गया है तो वह उसे आगे उस दिशा में बढ़ा देता है जिस दिशा में वह कंप्यूटर है जिसके लिये वह पैकेट भेजा गया है। इस तरह से पैकेट को एक जगह से दूसरी जगह भेजने को इण्टरनेट प्रोटोकॉल {Internet Protocol (I.P.)} कहा जाता है।
अक्सर कार्यालयों के सारे कम्प्यूटर आपस में एक दूसरे से जुड़े रहते हैं और वे एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं। इसको Local Area Network (LAN) लैन कहते हैं। लैन में जुड़ा कोई कंप्यूटर या कोई अकेला कंप्यूटर, दूसरे कंप्यूटरों के साथ टेलीफोन लाइन या सेटेलाइट से जुड़ा रहता है। अर्थात, दुनिया भर के कम्प्यूटर एक दूसरे से जुड़े हैं। इण्टरनेट, दुनिया भर के कम्प्यूटर का ऎसा नेटवर्क है जो एक दूसरे से संवाद कर सकता है।


डिजिटल सूचना एवं संचार माध्यमों का प्रभाव
वे दिन गए जब आप गरीब चित्र गुणवत्ता और अपर्याप्त केबल कनेक्शन के कारण टीवी स्वागत में गड़बड़ी पीड़ित था। आज समय है जब आप को पकड़ने और दिन डिजिटल तस्वीर की गुणवत्ता में धारावाहिकों और फिल्मों के लिए डिजिटल टीवी प्रसारण तकनीक के साथ अपने पसंदीदा दिन देख सकते हैं। आज, वहाँ बाजार में आपूर्तिकर्ताओं कि अपने डिजिटल प्रसारण प्रौद्योगिकी के साथ दर्शकों के लिए एक बेहतर टीवी देखने की पेशकश की संख्या रहे हैं। डिजिटल टेलीविजन मूल रूप से डिजिटल संकेतों के माध्यम से ऑडियो और वीडियो के संचरण है। इन संकेतों एनालॉग टीवी के अनुरूप संकेत करने के लिए इसके विपरीत में प्राप्त कर रहे हैं। डिजिटल टेलीविजन चित्र प्रारूप प्रसारण टेलीविजन प्रणाली है कि आकार और पहलू अनुपात के संयोजन कर रहे हैं के तहत परिभाषित कर रहे हैं की एक किस्म का समर्थन करने में सक्षम है। टीवी प्रसारण के तरीके के एक नंबर के माध्यम से डिजिटल प्रसारण के माध्यम से मदद की है। पुराना साधन के DTV के माध्यम से या एक एंटीना है, जो कई देशों में हवाई के रूप में भी जाना जाता है और प्रौद्योगिकी डिजिटल स्थलीय टेलीविजन के रूप में जाना जाता है के माध्यम से है।
          इस स्थलीय टेलीविजन एक बहुत बेहतर रंग और केबल कनेक्शन की तुलना में तस्वीर की गुणवत्ता प्रदान करता है। घर टीवी के लिए सीधे इस DTV प्रौद्योगिकी आगे कि HDTV और SDTV दो श्रेणियों में विभाजित है। HDTV या उच्च परिभाषा टेलीविजन उच्च परिभाषा वीडियो के संचरण के लिए प्रयोग किया जाता है। HDTV के स्वरूपों 1280 * 720 पिक्सल के एक प्रगतिशील स्कैन मोड में या 1920 * 1080 पिक्सल के interlaced के मोड में DTV पर प्रेषित किया जा सकता है। हालांकि, HDTV एनालॉग टीवी चैनलों पर नहीं किया जा प्रेषित कर सकते हैं के रूप में यह चैनल क्षमता के मुद्दों है। मानक परिभाषा या दूसरे हाथ पर टीवी SDTV कई प्रारूपों है कि है कि विशेष रूप से देश के प्रसारण में इस्तेमाल किया प्रौद्योगिकी के अनुसार विभिन्न पहलू अनुपात के रूप ले सकता है।
          टेलीविजन प्रसारकों के अधिकांश SDTV डिजिटल सिग्नल HDTV के बजाय पसंद करते हैं क्योंकि नवीनतम सम्मेलन एक DTV चैनल के बैंडविड्थ के कई चैनलों में उपविभाजित करने की अनुमति देता है। यह कई फ़ीड और उसी चैनल पर एक पूरी तरह से अलग टीवी प्रोग्रामिंग की सुविधा। इसके अलावा, HDTV के केवल एक फ़ीड या एकाधिक कम संकल्प फ़ीड जो भी अक्सर काफी परेशान प्रदान करने में सक्षम है। तो, अगर आप अभी भी पुराने केबल कनेक्शन का उपयोग कर रहे हैं, यह उच्च समय के लिए एक डिजिटल प्रसारण के लिए अपने टीवी कनेक्शन बदलाव है। आप ध्यान से जांच करने और गुण और विभिन्न घर टीवी प्रदाता के लिए प्रत्यक्ष और फिर एक है कि अपनी आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त है का चयन करें द्वारा की पेशकश की सुविधाओं को समझ सकते हैं।
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सूचना और संचार के क्षेत्र में डिजिटल बदलाव की प्रक्रिया से वैश्विक लोकतंत्र पर मीडिया का प्रभाव आज कल ज्यादा हो गया है. इस प्रौद्योगिक क्रांति की लोकतांत्रिक संभावनाएँ स्पष्ट है. वेबसाइट, ब्लॉग, टिवटर, एसएमएस, एमएमएस और नए मीडिया के अन्य रूप ने वैश्विक राजनीति में नागरिकों के भाग लेने वादे को और बढ़ा दिया है. सूचना-संचार के वैश्विक नेटवर्क लोकतांत्रिक विचार विमर्श के लिए डिजिटल पब्लिक स्फीयर के लिए साधन मुहैया कराते हैं.
          नई डिजिटल तकनीक लोकतांत्रिक प्रकियाओं में मीडियाकर्मियों की भूमिका बदल रही है. इंटरनेट, मोबाइल फोन और इसी तरह के अन्य साधनों ने खबरों के उत्पादन और सूचना के मुक्त प्रवाह में दर्शकों को ज्यादा शक्ति दी है. खबरों के उत्पादन पर से पत्रकारों का एकाधिकार समाप्त हो गया है. उदाहरण स्वरुप शौकिए ब्लॉगर खबरों का विवरण देते रहते हैं. इस बीच जब दर्शकों के पास खबरों के विषय-वस्तु और उसे तैयार करने का ज्यादा विकल्प हो तो संपादकों के पास एजेंडा सेट करने का अधिकार कम हो जाता है. पहले मीडिया प्रोडूसर और पाठकों-दर्शकों के बीच ऊपर से नीचे का वर्गीकृत ढाँचा होता था. वर्तमान में डिजिटल मीडिया क्षैतिज स्तर पर जुड़ाव के तहत काम करता है. इस तरह से नई मीडिया ऑनलाइन या डिजिटल डेमोक्रेसी के लिए नींव का काम करती है. हालांकि डिजिटल मीडिया और वैश्विक लोकतंत्र के बीच संबंध में सब कुछ खुशनुमा ही नहीं है. एक बात पक्की है कि डिजिटल मीडिया दर्शकों को बांटता है. नई तकनीक मीडिया के के प्रति व्यक्तवादी उपभोग का रुख रखती है. दर्शकों को बांटने से सामूहिक पब्लिक स्फीयर का खंडन होता है जहाँ नागरिक, राजनेता और सरकार वैश्विक मुद्दों को लेकर आपस मे संचार कर सकते हैं.
          साथ ही नई तकनीक की सीमित पहुँच वैश्विक डिजिटल वातावरण में लोगों की ज्यादातर भागेदारी में एक बाधा है. तथाकथित रूप से डिजिटल डिवाइड मौजूद है:आधारभूत ढॉचे, योग्यता और नई मीडिया के इस्तेमाल की प्रेरणा में असमान अवसर. यह असमानता वैश्विक राजनीति और आर्थिक विभेद में दिखाए देता है लेकिन यह महज धन के मामले में ही नहीं बल्कि शिक्षा, नस्ल और विशेष लैंगिक मामलों में भी सच है. वैश्विक मामलों में भागेदारी के इन असमान अवसरों से लोकतंत्र खतरे में पड़ता है.
          नई मीडिया के स्वामित्व में शक्ति संबंध भी वैश्विक लोकतंत्र के लिए चुनौती खड़ी करते हैं. डिजिटल जन संचार एक शक्तिशाली उद्योग की तरह काम करता है जिसमें केंद्रीकृत कारपोरेट स्वामित्व होता है. इस तरह की स्थिति में जो ताकतवर लोग हैं उन्हें खबरों को तोड़ने-मरोड़ने का मौका मिल जाता है और वह लोकतंत्र के खिलाफ काम कर सकता है. मीडिया का धंधा आम तौर पर सामाजिक और मानवीय लक्ष्यों से आगे व्यावसायिक लक्ष्यों को रखता है.
          नई डिजिटल मीडिया को भी इस कदर कमजोर किया जा सकता है कि उसकी शैक्षणिक संभावनाओं की जगह मनोरंजन का पक्ष हावी हो जाए.  सेलिब्रिटी की निजी जिंदगियों और उनके स्कैंडल पर ध्यान केंद्रित करने से मीडिया लोगों को राजनीति से निष्क्रिय बना सकती है और वैश्विक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से दर्शकों को दूर कर सकता है.  हालांकि मास कल्चर में शैक्षणिक संभावनाएँ हैं, चूँकि ज्यादातर लोग पापुलर मीडिया के माध्यम से ही राजनीति को समझते हैं. इस तरह वैश्विक लोकतंत्र पर मीडिया का प्रभाव विशेष तौर पर सांस्कृतिक विविधता और सहिष्णुता के मामले में बढ़ाया जा सकता है.
         
          नए मीडिया की वैश्विक गुणवत्ता डिजिटल जन संचार के लिए वैधानिक रूप रेखा तैयार करने की राज्यों की क्षमता पर अंकुश लगा सकता है. अधिकारवादी सरकार के लिए राज्यों का कमजोर होना लोकतांत्रिक रूप से सकारत्मक बात हो सकती है. हालांकि यह लोकहित में लोकतांत्रिक राज्यों के प्रभावशाली नियंत्रण को पाने से रोक भी सकता है. असल में, इंटरनेट का संचालन-प्रशासन मुख्यत नाम और नंबर देने के लिए होता है जो एक प्राइवेट एंजेसी ‘इंटरनेट कॉरपोरेशनके हाथों में है. इंटरनेट की पहुँच वैश्विक स्तर तक समान पहुँच और उसे पारदर्शी बनाने के लिए सरकार, एनजीओ और डिजिटल कार्यकर्ताओं के सामूहिक प्रयास की जरुरत है.
          इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए यह जरुरी है नागरिकों को नई तरीक से मीडिया में साक्षरता की जरुरत है ताकि वे डिजिटल संचार का इस्तेमाल इस रूप में कर सकेंगे कि वैश्विक लोकतंत्र बढ़े. मीडिया के वातावरण में युवाओं को विशेष रूप से अनुभव प्राप्त करने की जरुरत है. उन्हें ना सिर्फ मीडिया की विषय वस्तु को कैसे ग्रहण किया जाए इसमें शिक्षित करने की जरुरत है बल्कि किस तरह से उसका उत्पादन और संचार करें इस बात का भी प्रशिक्षण जरुरी है. साधन तक पहुँच के नए दर्शनशास्त्र को एक तरफ मूलभूत तकनीक प्रशिक्षण और दूसरी ओर सामाजिक और राजनीतिक आलोचनात्मक विश्लेषण की जरुरत है. स्कूली शिक्षक, विश्वविद्यालय के व्याख्याता, माता-पिता, राष्ट्रीय और वैश्विक नीति निर्माता और मीडिया संस्थान जैसे विभिन्न कर्ताओं को सीख की इस प्रक्रिया में भाग लेने की जरुरत है.  इसका लक्ष्य युवा नागरिकों को सक्रिय और मीडिया का चेतन उपभोक्ता बनाने की है.  जिन देशों में मीडिया व्यावसायिक रूप से संचालित होता है, जहाँ विषय वस्तु आयातित मनोरंजन के उत्पादों पर पूरी तरह से निर्भर है, जहाँ पत्रकारिता राजनीतिक रूप से पूर्वाग्रह का शिकार है वहाँ पर इस तरह की शिक्षा विशेष रूप से जरुरी है.
          अगले कुछ महीनों में आपके टीवी पर तस्वीरें एकदम साफ दिखने लगेंगी। ऐसा डिजिटल प्रसारण के कारण होगा । दरअसलए मौजूदा एनालॉग सिस्टम को डिजिटल करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले दिनों मंजूरी देकर देश भर में केबल टीवी प्रसारण को आधुनिक बनाने की पहल की है। यह एक ऐसा अध्यादेश हैए जिससे टीवी सिग्नल को डिजिटल बनाना सभी केबल आपरेटरों के लिए अनिवायर् हो जाएगा। अगले साल मार्च से सभी टीवी उपभोक्ताओं के घर में सेटटॉप बॉक्स लग जाएगा। तब लोगों की टीवी पर खराब पिक्चर आने की शिकायत नहीं रहेगी। डिजिटल प्रसारण आज भी होता है लेकिन एनालॉग की तुलना में बहुत कम टेलीविजन सेटों पर। अभी देश में टीवी प्रसारण की तकनीक पुरानी है और यह एनालॉग सिस्टम पर काम करती है। मौजूदा व्यवस्था में टीवी तक प्रसारण कइर् माध्यमों से पहुंचता है। जब देश में सिर्फ दूरदर्शन था तो इसका प्रसारण छत पर लगे एंटीना के जरिए टीवी तक पहुंचता था। अब पुराने एंटीना तो घरों पर दिखते भी नहीं हैं। इस समय करोड़ों घरों में केबल के माध्यम से प्रसारण पहुंच रहा है। कइर् लोग केबल वालों से संतुष्ट न होने के कारण डीटीएच यानी डायरेक्ट टू होम सविर्स का एंटीना लगा रहे हैंए तो कइर् लोग आइर्पीटीवी के माध्यम से टीवी चैनल देख रहे हैं। टीवी प्रसारण के लिए ब्राडबैंड की सेवाएं भी आगे आइर् हैं। मगर इसका प्रयोग करने वाले कम ही हैं। डीटीएच पर कइर् लोगों का भरोसा जरूर बढ़ा है। यही वजह है कि दिल्ली और इससे सटे गुड़गांवए नोएडाए गाजियाबाद और फरीदाबाद में छतों पर कइर् कंपनियों के छतरीनुमा डीटीएच एंटीना देखे जा सकते हैं। बावजूद इसके केवल टीवी सस्ता होने से ज्यादातर घरों में टीवी चैनल इसी माध्यम से देखे जा रहे हैं।
          भारत में प्रसारण की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। यह पेचीदा इसलिए हैए क्योंकि हमारे टीवी तक तस्वीर सीधे नहीं पहुंचती। केबल को ही लेंए तो यह तीन चरणों में काम करता है। पहले प्रसारणकर्ता अपने सिग्नल जारी कर सैटेलाइट को भेजते हैंए फिर मल्टी सिस्टम आपरेटर इन सिग्नलों को डाउनलोड कर स्थानीय केबल आपरेटरों को भेजते हैं। इसके बाद इलाके के केबल वाले तारों का जाल बिछा कर बेशुमार घरों तक टीवी प्रसारण पहुंचाते हैं। यह ऐसी प्रक्रिया हैए जब प्रसारण कइर् बार साफ नहीं होता। यह वजह है कि अक्सर केबल वालों और टीवी उपभोक्ताओं में विवाद होता है। डायरेक्ट टू होम सेवा में बीच की प्रक्रिया नहीं है। यानी घर की छत पर लगा छतरीनुमा एंटिना मल्टी सिस्टम आपरेटर से हो रहे प्रसारण को डाउनलोड कर लेता है। इसके बाद टीवी के पास रखा सेटटॉप बॉक्स सभी सिग्नलों को ग्रहण कर लेता है। इससे न केवल साफ.सथुरी तस्वीर मिलती है बल्कि आप दुनिया भर में तमाम चैनल देख सकते हैं। जाहिर है इस सिस्टम में तारों का वैसा जाल नहींए जैसा कि केबल वाले गली.मुहल्लों में खंबों से लेकर घरों तक फैलाए रखते हैं। यह तारों से मुक्त डिजिटल टेक्नालॉजी है। यों आइर्पीटीवी भी डिजिटल है मगर ब्राडबैंड के इस्तेमाल के कारण तारों से युक्त है। डिजिटल प्रसारण के दौरान क्या केबल वाले तारों का संजाल कुछ कम करेंगेए यह अभी साफ नहीं है। फिलहाल सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया हैए उसके मुताबिक जिस घर में भी केबल टीवी चल रहा हैए वह मार्च तक डिजिटल हो जाएगा। जबकि देश के बाकी हिस्सों में मार्च 2014 तक केबल वालों को डिजिटल प्रसारण करना होगा। यानी एनालॉग सिस्टम को डिजिटल में बदलना होगा। केबल टीवी वाले अभी से बताने लगे हैं कि घरों में सेटटॉप बॉक्स लगेगा। यह करीब एक हजार रुपए का होगा। यह अनिवायर्ता उपभोक्ताओं के लिए आर्थिक बोझ है। लेकिन इतना तय है कि इसके लगने के बाद लोगों को अपने टेलीविजन या एलसीडी पर वैसी ही साफ और चमकदार तस्वीरें दिखाइर् देंगीए जैसी किसी एलसीडी के शोरूम में दिखाइ देती हैं। सच्चाइ यह है कि केबल आपरेटर बरसों से चांदी काट रहे हैं। खराब तस्वीरें आने पर भी या केबल न चलने पर भी जहां वे उपभोक्ताओं से पूरे महीने का शुल्क वसूलते हैं वहीं वे अपनी पूरी कमाइ का ब्योरा देने से इंकार करते हैं। इसमें एनालॉग सिस्टम सरकार का मददगार साबित हुआ है। मौजूदा व्यवस्था में सरकार यह पता नहीं लगा सकती कि कितने घरों में केबल कनेक्शन है वास्तविक संख्या उपभोक्ताओं की पर्ची काटने वाले केबल आपरेटरों के एजेंट को ही मालूम होती है। प्रसारण की ज्यादातर मलाइर् ये लोग ही चाट जाते हैं। यही वजह है कि ट्राइ ने केबल प्रसारण के पूरे राजस्व को तीन हिस्सों में बांटना अनिवायर् किया था। इसमें तय किया गया था कि कमाइ का 45 फीसद प्रसारणकर्ता कोए 30 फीसद मल्टी सिस्टम आपरेटर्स को और 25 फीसद केबल वालों को मिले। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पिछले साल एक रिपोर्ट में कहा गया कि देश भर में टीवी उपभोक्ताओं से केबल वाले 19 हजार करोड़ से भी ज्यादा शुल्क वसूलते हैं। लेकिन इस रकम का 20 फीसद हिस्सा ही कमाइर् के रूप में घोषित करते हैं। साफ है कि केबल संचालक मोटी कमाइर् कर रहे हैं और इसी पर सरकार की नजर है। भारत में केबल आपरेटरों ने न केवल सरकार को बल्कि प्रसारकों को भी झांसा दे रखा है। कइर् केबल आपरेटर खुद को मिले विज्ञापन भी प्रसारित हो रहे चैनलों के नीचे पट्टी पर चलाते रहते हैं। ग्राहकी शुल्क देने का तो सवाल ही नहीं है। हालांकि कुछ स्थानीय चैनल तो ग्राहकी शुल्क पर ही निभ्रर हैं। ये ऐसे चैनल हैंए जिन्हें विज्ञापन नहीं मिलते। नतीजा केबल वालों के मोहताज रहते हैं। बड़े चैनल केबल आपरेटरों के भरोसे नहीं हैं। क्योंकि उनका सारा खर्च खुद को मिलने वाले भारी.भरकम विज्ञापन शुल्क से चल जाता है। मगर वे आज तक नहीं जान पाए कि वस्तुत: कितने घरों में उनका चैनल देखा जा रहा है। लेकिन डिजिटल सिस्टम शुरू होने पर कइ चीजें साफ हो जाएंगी। तब केबल आपरेटर कुछ भी नहीं छिपा पाएंगे। उन्हें कमाई का एक हिस्सा प्रसारणकर्ता को और दूसरा हिस्सा मल्टीसिस्टम आपरेटर को देना ही पड़ेगा। मौजूदा व्यवस्था में केबल आपरेटर सौ से डेढ़ सौ चैनल ही घरों तक पहुंचा सकते हैं। टीवी सेट भी इतने सक्षम नहीं कि सौ से ज्यादा चैनल प्रसारित कर सकें। जबकि अभी छह सौ चैनल के सिग्नल मौजूद हैं। कोई नया चैनल आता हैए तो वे केबल आपरेटरों पर निभ्रर रहते हैं। दर्शकों तक उस चैनल को पहुंचाने के लिए केबल आपरेटर मुहॅ मांगे पैसे मांगते हैं। दर्शकों की पसंद के चैनल के बीच अपने चैनल को रखने और उसे दिखाए जाने के लिए प्रसारक को खासी कवायद करनी पड़ती है। लेकिन जब डिजिटल प्रसारण शुरू हो जाएगाए तो प्रसारणकर्ता केबल मालिकों की मनमानी के शिकार नहीं होंगे। तब यही केबल वाले चार-पांच सौ चैनल दिखाने के लिए मजबूर होंगे। डिजिटल प्रसारण के लिए सेटटॉप बॉक्स लगाना अनिवार्य है। प्रसारण में क्रांति इसी से आने वाली है। इसका सबसे बड़ा फायदा तो टीवी दर्शकों को होने वाला है। वे अब ज्यादा से ज्यादा देशी.विदेशी चैनल देख सकेंगे। वहीं डिजिटल साउंड के साथ एकदम साफ तस्वीर टीवी, एलसीडी देखने के आनंद को दुगुना कर देगी। हालांकि इसके लिए उन्हें जेब जरूर ढीली करनी पड़ेगी। एक बार सेटटॉप बॉक्स के लिए रुपए खर्च कराने के बाद केबल आपरेटर उनसे 20 से 30 फीसद ज्यादा शुल्क भी मांग सकते हैं। जो भी हो इससे प्रसारणकर्ताए मल्टी सिस्टम आपरेटर और केबल संचालक फायदे में ही रहेंगे। सबसे बड़ी बात यह कि प्रसारण तकनीक अंतरराष्ट्रीय स्तर की हो जाएगी।