समाचार
भारती
1967 में बिहार, गुजरात, राजस्थान, और कर्नाटक
के राज्य सरकारों की वित्तीय सहायता से समाचार भारती की स्थापना की गयी । इसमें
राज्यों के 50 प्रतिसत शेयर रहते थे । धर्मवीर गांधी और लाला फिरोजचंद इसके प्रारंभिक निदेशक थे।
समाचार
भारती भारत
में आधारित एक संवाद समिति थी। इसे भारत के हिंदी
भाषी क्षेत्रों में समाचार सेवा में एक नई स्फूर्ति
लाने के लिए श्रेय दिया गया था । यह कुशल प्रबंधन के अभाव में 1998 में बंद हो
गया ।
1960
के दशक में हिन्दुस्तान समाचार तथा समाचार भारती हिन्दी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में
खबरें उपलब्ध करवाने वाली प्रथम दो संस्थाएँ थी। 1975 में भारत में घोषित हुए आपातकाल के दौरान जनवरी-फरवरी 1976 में भारत सरकार के प्रोत्साहन से चार संवाद समितियाँ - प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, यूनाइटेड न्यूज आफ इंडिया (अंग्रेज़ी), समाचार भारती और हिन्दुस्तान समाचार
एकीकृत होकर "समाचार" नामक एक नई संवाद समिति बन गई। परंतु अप्रैल 1978
में पुरानी चारों एजेन्सियों को फिर से बहाल कर दिया गया।
समाचार
भारती अपने मेनि फेष्टो में निम्नलिखित बातों का उल्लेख किया था –
“समाचार भारती, देश के समस्त मीडिया चाहे वह इलेक्ट्रानिक हो
वेब हो या फिर प्रिंट मीडिया, सभी को ताजा और
विश्वसनीय समाचार उपलब्ध कराने का एक नया प्रयास है। आज के युग में समाचार के क्षेत्र
में नैतिकता का अभाव देखा जा रहा है। छोटे मंझोले स्तर पर समाचार पत्र निकालना या
वेब पोर्टल का संचालन बेहद मुश्किल काम है। इसी बात को मद्देनजर रख वर्तमान में
हमारे प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि हम इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिंट मीडिया के साथ ही साथ इंटरनेट वेब
पोर्टल्स के लिए निशुल्क समाचार उपलब्ध कराएंगे ।“
उपर्युक्त बातों पे ध्यान
दें तो हम देखते है कि किस तरह एक मजबूत इरादे के साथ समाचार भारती ने अपने आप को
स्थापित किया था परंतु नेतृत्व एवं कुशलता के अभाव ने इस समाचार एजेंसी को दिर्ध
जीवी नहीं होने दिया । समाचार भारती का उद्देश्य जहां एक ओर लोगों को सूचना एवं
समाचार से अवगत करना था तो वहीं उन समाचारों को हिन्दी एवं अन्य भारती क्षेत्री
भाषाओं में प्रदर्शित कर के भारती भाषाओं को महत्व देना था ।
समाचार भारती देश की पहली इंटरनेट आधारित “डिजीटल न्यूज एजेंसी” बनी
थी । यह समाचार
एजेंसी उन लोगों द्वारा संचालित की जा रही है जो वर्षों से पत्रकारित की आग में
तपे हैं। उस समय में देश के लगभग
सभी राज्यों में
इसके ब्यूरो, ग्रामीण और जिला स्तर पर संवाददाताओं की चेन
स्थापित हो चुकी थी । रोजाना देश के कोने कोने में
इससे संपर्क करने
वालों का तांता लगा हुआ रहता था । विदेशों में
भी इसके संवाददाता स्थापित थे ।
समाचार प्राप्त करने के नियम
समाचार भारती ने अपने वेब
साइट पे कुछ कोड ऑफ कंडक्ट बना के समाचार को सबके लिए स्वतंत्र किया था जिसमें
इन्होंने कुछ इस तरह अपने बातों को रखा था ।
“आपसे आग्रह है
कि अगर आप हमारे कंटेक्ट का उपयोग करते हैं, तो कृपया उसका
प्रिंट वर्जन स्केन कर या अगर आप इसका उपयोग इलेक्ट्रानिक अथवा वेब के लिए करते
हैं तो उसका लिंक अवश्य हमें भेजने का कष्ट करें। आपको इससे समाचार, आलेख आदि लेने के लिए लागिन करना होगा, आप अपना लागिन आईडी और पासवर्ड खुद ही सेट कर
सकते हैं।“
यह मेनि फेस्टो समाचार भारती
ने अपने खुद के वेब साइट पे अपने परिचय के अंतर्गत लिख रखा था जो इससे समाचार लेने
के नियम कानून से भी जुड़ा था । समाचार भारती बहुत ही साधारण से नियम के तहत समाचार
लोगों को मुहैया कराता था ।
हिंदुस्थान समाचार
यह भारत की प्रमुख समाचार
संस्था है यह राष्ट्री स्वयं सेवक संघ (RSS) के अनुयाई हैं
। एस एस आंम्टे ने पटना में सन 1948 को हिंदुस्तान समाचार एजेंसी की स्थापना की थी
। यह सरकारी संस्था के रूप में 1957 को पंजीकृत हुई तथा 2003 में इसका आधुनिकीकरण
किया गया । इसमें 200 नियमित कर्मचारी हैं, तथा 1300
अवैधानिक संवादाता भी इससे जुड़े हुये हैं । इस एजेंसी का सबसे बड़ा श्रेय यह है कि
इसने इटली के एक कंपनी (ओली मेली) के सहयोग से हिन्दी टेलीप्रिंटर का 1954 में
निर्माण कराया इस कार्य में वफ़ी अहमद किरदवी का विशेष योगदान था। इस प्रकार पटना
- दिल्ली के बीच हिन्दी टेलीप्रिंटर का
शुभारंभ हुआ तथा आगे चल कर इसका और भी
विस्तार किया गया। इस समाचार एजेंसी ने भारत में भाषाई विकास के लिए अपना एक बड़ा
योगदान दिया इसी कारण इसे बहुभाषी समाचार पत्र भी कहा जाता था । यह समाचार एजेंसी उस समय के लगभग सभी मुख्य राज्यों से प्रकाशित होने
वाला एक मात्र न्यूज़ एजेंसी था । हिंदुस्तान समाचार एजेंसी से वो सभी समाचार पत्र
सहयोग (समाचार) लेते थे जो मुख्य रूप से रिजनल समाचार पत्र के श्रेणी में आते थे ।
उन सभी स्थानीय समाचार पत्रों के लिए यह एक आसान माध्यम हो गया था जो मुख्य रूप से
स्थानीय समाचार के लिए जाने पहचाने जाते थे । तथा एक और कारण जो इसके महत्व को बढ़ा
देता था वह इसके भाषा को लेकर था चुकी यह लगभग सभी भारती भाषाओं में समाचार देता
था तो इस वजह से किसी समाचार एजेंसी को अनुवाद करने की जरूरत नहीं पड़ती थी वो जिस
भी भाषा का समाचार पत्र होता था उसे उसकी भाषा में समाचार आसानी से मिल जाता था
।
1975 में जब आपातकाल लगा
तो सरकार ने उस समय के सभी समाचार एजेंसियों को अपने नियंत्रण में ले लिया जिसका
परिणाम यह हुआ कि उस समय भारत के ये दोनों समाचार एजेंसी समाचार भारती एवं
हिंदुस्तान समाचार को सरकार के द्वारा बनाई गयी समाचार एजेंसी “समाचार” में विलय
कर दिया गया । इनके अलावा भी उस समय के प्रमुख समाचार एजेंसी पी टी आई , यू एन आई को भी इसी समाचार में विलय होना पड़ा । तथा सरकार ने सीधे अपने नियंत्रण में एक राष्ट्री समाचार एजेंसी संचालित
करने के उद्देश्य से इन चारों एजेंसिया पी टी आई , यू एन आई, समाचार भारती एवं हिंदुस्तान समाचार का एक “समाचार” में विलय कर दिया
गया। लेकिन आपातकाल खत्म होते ही पुनः इन चारों समाचार एजेंसियों की स्वायत्ता
वापस कर दी गयी और ये फिर से एक स्वतंत्र समाचार एजेंसी के रूप में काम करने लगे
जो इन समाचार एजेंसियों के लिए बहोत जरूरी था । इन दोनों समाचार एजेंसियों ने खुद
के साथ साथ उस पत्रकारिता को भी विस्तारित किया जिसे चौथे स्तम्भ की संज्ञा दी गयी
है । संवाद समिति यानि की न्यूज़ एजेंसी जो की किसी भी पत्रकारिता के द्वारा बृहद
स्तर से लेकर सूक्ष्म स्तर तक (दिल्ली से लेकर सुदूर गाँव तक) तक खुद को पाठकों से जोड़ लेता है इसके लिए जरूरी
है कि वह अपने समाचार में सत्यता और ईमानदारी का बोध कराये जो की किसी भी समाचार एजेंसी की नीव को
तैयार करता है ।
आज अगर हम संवाद समितियों
(न्यूज़ एजेंसी) कि बात करते है तो हम देखते है कि बिना इसके किसी भी समाचार पत्र
की पूर्णता नहीं मुंकिन है क्योंकि यहीं वो माध्यम है जो समाचार पत्र को व्यापक
एवं बहुआयामी बनाता है । स्पष्ट शब्दों में कहें तो सूचना जागरूकता और समाचार की
तत्परता ने न्यूज़ एजेंसी के महत्व को और भी बढ़ा दिया है और इन्हीं मांगों की पूर्ति
ठीक ढंग से ठीक समय पे जो करता है वहीं इस रेस में जादा दिनों तक चल पता है । यही
दुर्भाग्य भारत के समाचार एजेंसी समाचार भारती एवं हिंदुस्तान समाचार के साथ हुआ ।
दोनों
समाचार एजेंसियों के असफलता के कारण
हिंदुस्थान समाचार एजेंसी
तथा समाचार भारती, जो कि मूल रूप से हिन्दी तथा
अन्य भारती भाषाओं में समाचार उपलब्ध कराया करती थीं, वो आज
समाचार परिदृश्य से पूर्ण रूप से विलुप्त हो चुकीं हैं । तथा इन समाचार एजेंसियों
का सपना भारती भाषाओं में समाचार उपलब्ध कराने का प्रयोग असफल रहा । तो ऐसे में
सवाल खड़ा होता है कि कहीं हिन्दी या स्थानीय भाषा पे ही आश्रित रहना इसके
विलुप्तता का कारण तो नहीं । और इस तरह इसके इस प्रयोग के विलुप्तता के कारण का
पता लगाना जरूरी था । वैसे तो प्रयोग के असफल होने के कई कारण थे लेकिन जो कुछ
मुख्य थे वह इस प्रकार हैं ।
§ व्यावसायिक
दृष्टि का अभाव – किसी भी संस्था को सुचारु रूप से चलाने या
स्थायी रूप से चलाने के लिए उसके आर्थिक स्थिति का बड़ा महत्व होता है लेकिन यहीं
पे आ के दोनों ही समाचार एजेंसी कमजोर पड़ जातें हैं । समाचार भारती एवं हिंदुस्तान
समाचार दोनों ही अपने अतिलघु व्यावसायिक सोच के कारण दिर्ध जीविता का प्रमाण नहीं
दे पाये । जिसके तहत कहीं न कहीं इनके खत्म होने का कारण इनकी आर्थिक स्थिति भी थी
। तथा इन्होंने कोई ऐसी व्यवस्था नहीं की जो इनको आर्थिक सहायता दे सके । जिसके
परिणाम स्वरूप इन समाचार एजेंसियों ने न तो अपने पत्रकारों को ही समय पे तनख्वा दे
पाती थी और न ही अपने प्रबन्धक टीम को ही खुश रख पाती थी । इसका नुक्सान यह हुआ कि
धीरे धीरे इनकी पत्रकारिता एवं प्रबंधकीय टीम इनसे अलग होने लगी और इस कारण किसी
भी समाचार एजेंसी कि जो नीव होती है यानि समाचार वह समय पर इनको नहीं मिल पा रही
थी परिणाम स्वरूप कुछ समय बाद इनकी स्थिति खराब होने लगी और अंतत यह बंद होने के
कगार पे आ गया ।
§ प्रोफेशनलिस्म की कमी – हिंदुस्तान
समाचार एजेंसी एवं समाचार भारती दोनों में प्रोफेशनलिस्म का आकाल नितांत खलता है ।
यद्यपि समाचार सेवा के क्षेत्र में दोनों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है
लेकिन जब इनके जल्द ही खत्म हो जाने की बात सामने आती है तो उसका एक जो बड़ा कारण
सामने आता है वह उनके कर्मचारियों के प्रोफेशनलिजम को लेकर है । दोनों ही समाचार
के चाहे वो प्रबन्धक टीम हो या पत्रकारों की इन दोनों ही क्षेत्रों में समाचार
एजेंसियों को मुह की खानी पड़ी जिसका परिणाम इनके अंत को लेकर हुआ । प्रोफेशनलिजम
से हमारा सीधा आशय एक ऐसी प्रबंधकी टीम से है जो बदलते समय को पहचान कर एक उसके
अनुरूप खुद को या अपनी संस्था को ढाल दे ।
दोनों
समाचार एजेंसियों की उपलब्धियां
हिंदुस्तान समाचार एवं
समाचार भारती दोनों ने ही देश के तथा समाचार एजेंसियों के विकास में बड़ी भूमिका
निभाई । दोनों ने भाषा को लेकर काफी काम किया एवं एक बहुभाषी समाचार एजेंसी की एक
मात्र नीव रखा और देश को एक ससक्त समाचार एजेंसी से परिचित कराया जिसका परिणाम यह
रहा कि क्षेत्री भाषायी समाचार पत्रों को भी आसानी से समाचार इस एजेंसी से प्राप्त
हो जाता था । हिंदुस्तान समाचार एवं समाचार भारती इन दोनों की जो महत्वपूर्ण उपलब्धि
है वह कुछ इस प्रकार है –
Ø हिंदुस्तान
समाचार के कारण ही देश में पहली बार दिल्ली और पटना के बीच हिन्दी में टेलीप्रिंटर
की सेवा शुरू की गयी ।
Ø समाचार
भारती के कारण हिन्दी क्षेत्रों में समाचारों को नयी गती मिली ।
Ø दोनों ही समितियों ने जिला एवं तहसील स्तर तक
समाचार चेतना पैदा करने का प्रयास किया ।
Ø इन्हीं
समाचार एजेंसियों के कारण सर्वप्रथम ग्रामीण और क्षेत्रीय अंशकालिक संवाददाताओं की
नई पीढ़ी आस्तित्व में आई ।
Ø हिंदुस्तान
समाचार एजेंसी की विशेषता भी थी कि इसकी बुनियाद सहकारिता थी ।
लेकिन दोनों ही समितियां
नई चुनौतियों और मुद्दो को समझने में नाकाम रहीं । वक्त के मांग के अनुरूप वे
स्वयं को तैयार नहीं कर सकीं । क्योंकि दोनों के नेतृत्व में दृष्टि-व्यापकता और
आधुनिक व्यावसायिक क्षमता का परिचय नहीं दिया । परिणाम स्वरूप दोनों ही समितियाँ आकालमृत्यु
की शिकार हो गईं । इस तरह भारती भाषाओं की दो प्रमुख समाचार एजेंसियों का अंत हो
गया ।
निष्कर्ष
उपरोक्त विवेचन के आधार पे
जब की यह सिद्ध हो चुका है कि समाचार भारती एवं हिंदुस्तान समाचार दोनों का भाषायी
स्तर पर एक विशेष योगदान रहा है । यहाँ यह भी पड़ताल करने वाली बात थी की आखिर वह
कौन सी वजह थी जिसके कारण इनको मुंह की खानी पड़ी । इन्हीं सारे मुद्दो को लेकर जब
मैंने अपने इस विषय को पूर्ण किया तो मैं इस परिणाम तक आ सका कि निश्चित तौर पे
भाषा एवं समाचार के स्तर पर यह बेहतर थे परंतु कुशल प्रबंधन का अभाव इनके समाचार
एजेंसी में हमेशा देखने को मिला जिसका दुखद
परिणाम यह हुआ की अंतत इन्हें असफलता ही हाथ लगी । अगर मैं आज के परिदृश्य
को लेकर इनकी बात करूँ तो मैं कह सकता हूँ कि भाषायी समाचार निश्चित रूप से समाज
एवं देश के विकास में अग्रणी भूमिका का निर्वहन करते है परंतु बिना इंग्लिस समाचार
या इस भाषा के समाचार को समाहित किए आप अपना या अपने समाचार एजेंसी का विकास नहीं
कर सकते जो किसी भी समाचार संस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए बहुत जरूरी होता
है । अर्थात मैं इन मुद्दो के आधार पे यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं करता कि इन
दोनों समाचार एजेंसियों ने आर्थिक दृष्टि को लेकर दूरदर्शिता नहीं दिखाई जिसका
परिणाम इनको अपने स्तित्व को लेकर भुगदना पड़ा ।
हिन्दुस्थान समाचार आज अपने सही स्वरूप में बनी हुर्ह है, यह कहना उचित नहीं होगा कि यह संवाद समिति बंद हो गई है। देश में छोटे-बड़े 500 से अधिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं का इसका ग्राहक होना क्या आज के दौर में कम बड़ी बात मानना चाहिए, निश्चित ही कहा जाएगा कि बिल्कुल नहीं ।
ReplyDeleteएक तरफ अन्य संवाद समितियों के ग्राहकों में कमी आ रही है तो दूसरी तरफ हिन्दुस्थान समाचार के दिन प्रतिदिन ग्राहक बढ़ते जा रहे हैं, यह इस समाचार एजेंसी के अच्छे दिनों के संकेत हैं और यह भी कहा जा सकता है कि सहकार आधारित कार्य की पत्रकारिता क्षेत्र में यह एक बढ़ी सफलता एवं उपलब्धी भी है।
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ReplyDeleteहिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज़ एजेंसी है जिसकी सेवाएं हिंदी, उर्दू एवं अंग्रेजी के अलावा 14 क्षेत्रीय भाषाओं के समाचार पत्र लेते हैं. संस्था के अध्य्क्ष भाजपा के वरीय संसद आरके सिन्हा हैं. हिंदुस्तान समाचार 1948 से देश मे सेवा दे रहा है और इसके हर राज्य में कार्यालय और हर जिले मे संवाददाता हैं.
ReplyDeleteहिन्दुस्थान समाचार एक परिचय
ReplyDeleteभारत की जनभाषाओं को मीडिया के क्षेत्र में अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए 1 दिसम्बर, 1948 में मुम्बई के श्री शिवराम शंकर आप्टे द्वारा न्यूज एजेन्सी हिन्दुस्थान समाचार की स्थापना की गई। उनके साथ बापूराव लेले, नारायणराव तर्टे, बसन्तराव देशपाण्डे, बालेश्वर अग्रवाल, रामशंकर अग्निहोत्री आदि मूर्धन्य पत्रकार एजेन्सी के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे।
भारत में हिन्दुस्थान समाचार गतिविधियों और परिघटनाओं पर पैनी नजर रखने तथा भारतीय दृष्टि से उसे समझ और परख कर सरल शब्दों में जन सामान्य तक पहुंचाने का कार्य हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी कर रही है। उल्लेखनीय है कि हिन्दुस्थान समाचार भारतीय भाषाओं में इस प्रकार की निष्पक्ष एवं त्वरित सेवा देने वाली सहकारी क्षेत्र में कार्यरत एक मात्र संवाद समिति है। वर्तमान में समाचार सेवा हिन्दी के अतिरिक्त मराठी, सिंधी, गुजराती, असमिया, नेपाली अंगेजी, उर्दू, इत्यादि 14 भाषाओं में उपलब्ध है। दिल्ली, मप्र, गुजरात, झारखण्ड, राजस्थान, असम, मिजोरम, अण्डमान निकोबार के विभिन्न प्रशासनिक कार्यालय, विविध विश्वविद्यालय, जनसंचार संस्थान, राज्य सरकारें आज इसकी सेवाएं ले रही हैं। वर्तमान में लगभग 2000 से अधिक पत्र-पत्रिकाएँ एवं वेबपोर्टल वर्तमान में हमारी समाचार सेवा का उपयोग कर रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार की वेबसाइटhttp://hindusthansamachar.in/है, इस पर हमारी सेवाओं को देखा जा सकता है।
भारत के सभी राज्यों की राजधानी एवं अन्य प्रमुख जिला केन्द्र, तहसील केन्द्रों पर इसके कार्यालय हैं। प्रत्येक राज्यीय केन्द्र समय-समय पर विभिन्न राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तर के महत्वपूर्ण विषयों पर केन्द्रित प्रतिवर्ष विशेषांक, स्मारिका और अपनी वार्षिकी का प्रकाशन करते हैं। नियमित एवं अनियमित समाचार प्रेषण करने वाले पत्रकारों की श्रंखला में 1000 से अधिक वरिष्ठ संवाददाता एवं पत्रकार आज हिन्दुस्थान समाचार से जुड़े हैं। यह आज साप्ताहिक युगवार्ता, पाक्षिक यथावत और मासिक पत्रिका नवोत्थान का भी सफलता पूर्वक प्रकाशन कर रही है । वर्तमान में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्यसभा सांसद श्री रविन्द्र किशोर सिन्हा हैं और वहीं समूह हिन्दुस्थान समाचार के प्रधान सम्पादक वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय हैं।
इसी प्रकार देश के सभी राज्यों में जिला केन्द्रों तक आज हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी का विस्तार है। विदेशों में कार्य विशेषकर यूरोप के देशों के साथ भारत के आस-पास के देशों में पहुंच चुका है। इसके अतिरिक्त यह जानने योग्य है कि हिन्दुस्थान समाचार सहकारिता आधारित देश की एकमात्र समाचार समिति है।
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ReplyDeletegood
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